मुसीबत के साथी आईटीवीपी के जवान : आपदा में कंधे पर किसी का शव घर पहुंचाया तो किसी को अस्पताल!

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उच्च हिलालयी और दुर्गम क्षेत्र लास्पा गाड़ी में रेखा देवी पत्नी लक्ष्मण राम पहाड़ से गिरे पत्थर की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गई थी। चीन सीमा से लगे उच्च हिमालयी इस गांव में घायल महिला के उपचार की कोई व्यवस्था नहीं थी। लास्पा से मुनस्यारी तक का 45 किमी मार्ग भारी बारिश के कारण एक माह से ध्वस्त है।

पिथौरागढ़ : यहाँ जुलाई-अगस्त महीने में भारी बारिश के कारण आई आपदा से उच्च हिमालयी क्षेत्रों से संपर्क भंग है। जगह-जगह मलबा आने से रोड लंबे समय से बंद है। ऐसे में जहां वाहनों का आवागमन नहीं हो पा रहा है वहां पैदल चलना भी दूभर हो गया है।
पिछले माह उच्च हिमालयी क्षेत्र लास्पा गाड़ी में पहाड़ से पत्थर आने के कारण एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई थी। 23 अगस्त को आईटीबीपी के जवान 45 किमी पैदल चलकर कंधे पर डोली में लेकर इलाज के लिए मुनस्यारी लाए। ऐसे ही पत्थर की चपेट में आकर जब पोनी पोर्टर का काम करने वाले युवक की मौत हो गई तो उसके शव को भी आईटीबीपी के जवानों ने कंधे पर ही पैदल मुनस्यारी पहुंचाया।

उच्च हिलालयी और दुर्गम क्षेत्र लास्पा गाड़ी में रेखा देवी पत्नी लक्ष्मण राम पहाड़ से गिरे पत्थर की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गई थी। चीन सीमा से लगे उच्च हिमालयी इस गांव में घायल महिला के उपचार की कोई व्यवस्था नहीं थी। लास्पा से मुनस्यारी तक का 45 किमी मार्ग भारी बारिश के कारण एक माह से ध्वस्त है।

महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन से हेलीकॉप्टर की मांग की गई। बीस अगस्त को हेलीकॉप्टर आना था, परंतु मौसम खराब होने से नहीं आ सका। ग्रामीणों ने आइटीबीपी के अधिकारियों से अनुरोध किया। ग्रामीणों ने 14वीं वाहिनी भातिसीपु की अग्रिम चौकी मिलम से मुनस्यारी मार्ग तक पहुंचाने की मांग की थी। ग्रामीणों के अनुरोध पर वाहिनी के सेनानी बलजिंदर सिंह के निर्देश पर अग्रिम चौकी मिलम सहायक सेनानी बी नरसी रेड्डी के नेतृत्व में बीस जवानों के दल को पीडि़त महिला को मुनस्यारी मार्ग तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई। सुबह से ही आइटीबीपी जवानों ने अपनी जान को जोखिम में डालते हुए टूटे फृटे दुर्गम मार्ग से मुनस्यारी मार्ग तक पहुंचाया। जहां से महिला को जिला अस्पताल लाया गया।

पोर्टर का शव पैदल घर तक पहुंचाया

बंगापानी के मवानी दवानी गांव निवासी भूपेंद्र सिंह पुत्र गोविंद सिंह राणा पोनी पोर्टर का काम करता था। वह अपने खच्चरों को मिलम क्षेत्र में चराने के लिए ले गया था, जहां पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। मुनस्यारी -मिलम मार्ग बंद होने से परिजनों द्वारा शव मुनस्यारी ला पाना संभव नहीं था। इस पर ग्रामीणों ने प्रशासन से हेलीकॉप्टर की मांग की, लेकिन बात नहीं बनी। फिर ग्रामीणों एक आइटीबीपी के जवानों से संपर्क किया। 14वीं वाहिनी के जवान आगे आए। सेनानी बलजिंदर सिंह ने चौकी के सात जवानों को शनिवार को शव लेकर मुनस्यारी के लिए रवाना किया। पहाड़ी नदियों, नालों और जर्जर रास्तों से होते हुए करीब 12 घंटे में जवानों 45 किमी की दूरी तय कर 30 अगस्त यानी रविवार को युवक के शव घर पहुंचा दिया।

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