35 घंटे बाद खुला टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे, लेकिन खतरे से खाली नहीं आवाजाही

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मंगलवार सुबह आठ बजे से बंद टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) को 35 घंटे बाद बुधवार शाम सात बजे के करीब खोल दिया गया है। कठौल, चल्थी, स्वांला और धौन समेत चार जगहों पर आवाजाही अब भी खतरनाक बनी हुई है।मार्ग बंद होने से सब्जियों की कीमतों में बुधवार को 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई। इससे पहले चंपावत में फंसी रोडवेज की 13 बसों और अन्य वाहनों को बुधवार सुबह देवीधुरा होते हुए हल्द्वानी और दूसरे मैदानी मार्गों को भेजा गया।छह जेसीबी और पोकलैंड लगाकर राष्ट्रीय राजमार्ग खंड बुधवार शाम को सड़क से मलबे को हटाने में कामयाब रहा। इससे पहले एसडीएम अनिल गर्ब्याल, डीडीएमओ मनोज पांडेय के नेतृत्व में प्रशासनिक दल ने मौके पर पहुंचकर तेजी से खुलवाने और फंसे लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया।

प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों ने खाने और जरूरी व्यवस्था की गई। डीएम विनीत तोमर ने बताया कि मार्ग बंद होने के दौरान वाहनों को बनलेख और टनकपुर में ककरालीगेट में ही रोकने के निर्देश दिए गए हैं।सीमांत जिले पिथौरागढ़ में नदी नाले उफान पर हैं। चीन सीमा को जोड़ने वाली दो सड़कों समेत जिले में 11 सड़कें बंद हैं। अल्मोड़ा जिले में सात सड़कें मलबे से बंद हैं। बागेश्वर जिले में आठ सड़कें बाधित हैं। इसके चलते करीब 35 हजार की आबादी प्रभावित है। चंपावत जिले की 18 ग्रामीण सड़कें भी बंद हैं। उधर, बाराकोट ब्लॉक के पाड़ासोंसेरा में नदी में बही गीता देवी (35) का अब तक पता नहीं चल पाया है। टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर मलबा आने से मंगलवार से स्वांला में फंसे लोगों के लिए देवभूमि पलायन एवं बेरोजगारी उन्मूलन समिति के अध्यक्ष अनिल जोशी के नेतृत्व में कई लोगों ने मदद की। राज्य आंदोलनकारी संगठन जिला सचिव राजू गड़कोटी की ओर से अपने सहयोगियों के जरिये की गई जलपान व्यवस्था से यात्रियों ने राहत की सांस ली। चल्थी चौकी प्रभारी एसआई हेमंत कठैत ने देर रात फंसे लोगों के लिए उजाले की व्यवस्था कराई। टनकपुर-पूर्णागिरि सड़क चौथे दिन भी नहीं खुल पाई। मौसम खराब होने और बाटनागाड़ में काफी मलबा आने के कारण हनुमानचट्टी के पास सड़क पर आए भारी पत्थर तोड़ने के लिए मंगाई गई ब्रेकर मशीन बाटनागाड़ से आगे नहीं ले जाई जा सकी। सड़क बंद होने से तीर्थयात्रियों के एक दर्जन से अधिक निजी वाहन चार दिन से धाम क्षेत्र में फंसे हैं।टनकपुर-चंपावत राजमार्ग बुधवार को भी बाधित रहने के कारण टनकपुर से पहाड़ की ओर जाने वाले वाहनों को ककरालीगेट बैरियर पर रोक दिया गया। मार्ग खुलने के बाद वाहनों को रवाना किया गया। वहीं, शारदा नदी का जलस्तर एक लाख क्यूसेक से अधिक हो जाने के कारण मंगलवार को बनबसा बैराज पर रेड अलर्ट कर वाहनों का संचालन रोक दिया गया था। बुधवार शाम छह बजे नदी का जलस्तर 98526 क्यूसेक होने जाने के बाद बैराज से वाहनों के संचालन पर लगी रोक हटा दी गई थी।चीन सीमा को जोड़ने वाली विर्थिंग-नागलिंग सड़क 30 दिन बाद भी पूरी नहीं खुल पाई है। इससे सीमांत में रह रहे लोगों और सुरक्षा एजेंसियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोनिवि ने हालांकि विर्थिंग से नांगलिग में वुरुंग नाले पर लकड़ी का एक अस्थायी पुल बना दिया है। सेला और चल गांव में ट्रॉली की सभी सामग्री पहुंचा दिया है। तीन से चार दिनों में ट्रॉली शुरू हो जाएगी। दारमा घाटी के 14 गांवों के लोग 10 से 15 किमी की पैदल यात्रा कर तहसील मुख्यालय पहुंच रहे हैं। वहीं, तवाघाट-कनज्योति सोबला सड़क कई जगहों पर बंद है। मंगलवार से टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित होने से रोडवेज को सात लाख रुपये का नुकसान हुआ। मंगलवार को एक भी बस संचालित नहीं हुई। जबकि बुधवार को देवीधुरा होते हुए विभिन्न मार्गो में पांच बसों का संचालन किया गया। बुधवार को देवीधुरा होते हुए देहरादून, गुरुग्राम, दिल्ली, नैनीताल, हल्द्वानी के लिए बस भेजी गई। जबकि मंगलवार को मैदानी क्षेत्रों के लिए रवाना हुई बसें मार्ग बाधित होने के चलते चंपावत से वापस लौट आई थी।

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