नाचनी (संवाददाता) : दिनेश की मेहनत रंग लाई तो उद्यान विभाग के अधिकारी उसके बगीचे तक पहुंचे और बगीचे का निरीक्षण कर इसे आदर्श बागीचा बनाने का भरोसा दिलाया है। पलायन का दर्द झेल रहे कोट्यूड़ा गांव निवासी दिनेश सिंह ने रोजगार के लिए पलायन का रास्ता अपनाने के बजाय गांव में ही रह कर कुछ कर गुजरने की ठानी। गरीब परिवार के दिनेश ने जब गांव में ही रह कर कुछ करने के लिए सरकारी योजना के तहत मदद की गुहार लगाई। इस गुहार को कहीं नहीं सुना गया। तब उसने बंजर हो चुके खेतों पर कुदाल, फावड़े चला कर बाग तैयार करने की ठानी इसके लिए नींबू प्रजाति के पौधे रोपे। इन पौधों की सुरक्षा करता रहा साथ में साग, सब्जी का उत्पादन किया। दिनेश का लक्ष्य गांव और क्षेत्र के युवाओं को बाहर जाकर मजदूरी करने के स्थान पर अपने ही खेतों में काम कर आजीविका चलाने का संदेश देना था।
दिनेश की मेहनत रंग लाई। उसके बागीचे में तैयार नींबू, माल्टा, छोटा नींबू आदि फल बाजार में पहुंचने लगे। तल्ला जोहार के नाचनी, क्वीटी, तेजम, बांसबगड़ से लेकर थल के बाजारों में दिनेश के नींबू ने धाक जमा दी। बिना किसी सरकारी मदद के ही तैयार बगीचे की खबर बीते दिनों दैनिक जागरण ने प्रकाशित की। इधर अब खबर छपने के बाद उद्यान विभाग ने पहली बार दिनेश के उद्यान को संज्ञान में लिया है। उद्यान रक्षा सचल केंद्र के प्रभारी आशीष खर्कवाल ने कोट्यूड़ा गांव पहुंच कर दिनेश को फलोत्दान बढ़ाने के उपाय बताए हैं।
द्यान विभाग के अधिकारी ने दिनेश को फलों के पेड़ों में होने वाली हाईबैक बीमारी की जानकारी देते हुए इससे बचाने के उपाय बताए। पेड़ों से अधिक फल लेने के लिए दिसंबर माह में कटाई और छटाई के निर्देश दिए हैं। जैविक खाद का प्रयोग करने को कहा है। जैविक खाद से ही फलों की पैदावार बढ़ती है। जैविक खाद बनाने के तरीके भी बताए। पहली बार फलों के उत्पादन के लिए मिली सलाह से खुश दिनेश ने बताया कि वह आने वाले वर्षों में अपने फलों का उत्पादन बढ़ाएगा।