बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ नारा सिर्फ पोस्टरों और दीवारों पर सजा ही अच्छा लगता है। डिजिटल इण्डिया की सच्चाई और इसके नाम पर खर्च हो रहे लाखों रूपये की पोल फोटोग्राफर पवन नेगी की ये तस्वीर करती हैं,आप भी इन तस्वीर को देखकर ये अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से होनहार युवाओं का भविष्य राजनीती की भेंट चढ़ रहा है ,ये तस्वीर आपको ये सोचने पर मजबूर करेंगी कि पहाड़ के युवाओं की पढ़ाई की डगर कितनी कठिन है। ये तस्वीर थत्यूड़ टिहरी गढ़वाल की है इसमें साफ़ दिखाई दे रहा है कि एक बालिका सड़क किनारे पढ़ाई कर रही है.पवन नेगी ने बताया कि पशुओं को चराने आई बालिका इस हालात में सड़क किनारे पढ़ाई करते हुए देखा, और जब इससे उसके हालात जाने तो इस बच्ची की हिम्मत की दाद देने का मन किया जो कठिन परस्तिथियों में भी अपनी पढ़ाई जारी रखे है।
जिन हालातों में ये बच्ची पढ़ाई कर रही है उससे तरस इस बच्ची के हालातों से अधिक तरस तो सिस्टम पर आ रहा है। जहां सिस्टम में काम कर रहे लोगों के बच्चे तो शहरों में रहकर अंग्रेजी के महंगे स्कूलों में सभी सुविधाओं के साथ पढ़ाई कर रहे हैं और पहाड़ों का बचपन काम और सुविधाओं के आभाव में पढ़ने को मजबूर है। ये तस्वीर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे की सच्चाई भी उजागर करती है,ये तस्वीर 20 साल के युवा हो चुके उत्तराखंड की तरक्की को भी बयां करती है और बताती है कि राजनीती ने किस तरह उत्तराखंड को खोखला कर दिया है।
थत्यूड़ से यमुनोत्री में पढ़ाई करती इस बालिका की ये तस्वीर जो अपने सपनो को पूरा करने के लिए पहाड़ी शिक्षा तंत्र को भेदती हुई । उत्तराखंड के नेताओ व अधिकारियों के जो भी अच्छे दिन हो पर इस बालिका का जज्बा एक दिन उत्तराखंड का नाम जरूर रोशन करेगा । उत्तराखंड के हालात केवल ऊपरी सतह पर बदले है पहाड़ पर झांकने वाली नज़रो का इंतजार आज भी उम्मीद लगाए सड़क किनारे युही पढ़ाई करते हुए न जाने कितने मासूम कर रहे होंगे।