झारखंडः भूख से मौत मामले में भाजपा विधायकों ने जांच की मांग लेकर वेल में आकर किया प्रदर्शन

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रांची। झारखंड विधानसभा का बजट सत्र की कार्यवाही गुरुवार को एक बार फिर शुरू होने के साथ ही हंगामे में डूब गया। यहां भूखल घासी की भूख से मौत को लेकर भाजपा विधायकों ने जांच की मांग करते हुए वेल में आकर प्रदर्शन किया। इससे पहले तख्तियां लेकर सदन के बाहर भी बीजेपी विधायकों ने नारेबाजी कर अपना विरोध जताया। इधर शून्य काल में सदन में विधानसभा सदस्यों ने एक सुर से विधायक निधि की राशि करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ करने की मांग की। विधायक उमाशंकर अकेला, जेपी पटेल, किशुन दास, मथुरा महतो, अम्बा प्रसाद, अपर्णा सेन, इंद्रजीत महतो, केदार हाजरा, बिरंची नारायण, अमित यादव, लंबोदर महतो, अनंत ओझा, आलोक चैरसिया, नारायण दास व नमन विक्सन कोंगाड़ी ने जोरदार तरीके से विधायक निधि बढ़ाने की मांग रखी।

विधायकों को बांटे गए मास्क, नर्सों ने लगाया सैनिटाइजर

राज्य सरकार कोरोना वायरस से बचाव को लेकर तमाम एहतियाती उपाय कर रही है। इस सिलसिले में बुधवार को विधानसभा परिसर में विधायकों को मास्क बांटे गए। वहीं मुख्य द्वार पर मौजूद नर्सों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत तमाम मंत्रियों और विधायकों की हथेली पर सैनिटाइजर भी लगाया। हालांकि इसे लेकर राजनीति भी हुई। भाजपा के विधायक विरंची नारायण ने कहा कि सर्जिकल मास्क बांटने से कुछ नहीं होगा। दिया जा रहा मास्क किसी काम का नहीं है। कायदे से बचाव के लिए एन-95 मास्क की जरूरत है। उन्होंने इसे विधायकों के संग धोखा करार दिया। बोले, जब हमारे साथ ऐसा हो रहा है तो आम जनता का क्या होगा।

इन आरोपों का स्वास्थ्यमंत्री बन्ना गुप्ता ने शायराना अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जो गुनाहगार न हो, वही पहला पत्थर मारे…। पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल में स्वास्थ्य सुधार के क्षेत्र में कितना काम किया, यह जगजाहिर है। यह भी कहा कि स्वास्थ्य महकमा सबका है। विपक्ष के विधायक भी हमारे भाई जैसे हैं। विभाग उनके साथ खड़ा रहेगा। मास्क पर उठाए जा रहे सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी को मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। जो संदिग्ध मरीज आइसोलेशन वार्ड में आते हैं उन्हें और उनके संपर्क में आने वाले लोगों को मास्क की जरूरत होती है।

झारखंड मंत्रालय में न सैनिटाइजर, न हैंडवाश, दहशत में कर्मी

झारखंड मंत्रालय के किसी भी विभाग में कोरोना से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है। इसे लेकर यहां के अधिकारी-कर्मचारी दहशत में हैं। पूरे प्रदेश के लिए नीति-निर्धारण व दिशा-निर्देश जारी करने वाले झारखंड मंत्रालय में कोरोना से बचाव के नाम पर सिर्फ बायोमीट्रिक उपस्थिति ही बंद है, जबकि यहां हर दिन सैकड़ों की संख्या में अधिकारी-कर्मचारी व आम लोगों का आना-जाना है। झारखंड मंत्रालय के किसी भी विभाग में सैनिटाइजर या मास्क नहीं है। स्वच्छता के लिए महत्वपूर्ण हैंड वाश तक की कोई व्यवस्था नहीं। किसी भी अधिकारी या कर्मी के पास मास्क नहीं है।

एहतियात के नाम पर केवल बायोमीट्रिक बंद, विभागों ने की शिकायत

झारखंड मंत्रालय के सभी विभागों ने लेखा शाखा को इसकी शिकायत की है कि उन्हें मास्क व सैनिटाइजर जैसे जरूरी साधन व सामान उपलब्ध कराए जाय। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने मास्क व सैनिटाइजर को आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित किया है। तर्क दिया है कि कार्यों के निष्पादन के दौरान विभिन्न विभागों की फाइलें कई कर्मचारियों व पदाधिकारियों के माध्यम से गुजरती है, जिनसे संक्रमण का खतरा बना हुआ है।

विद्युत नियामक आयोग की जन सुनवाई टली

कोरोना से बचाव को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के मद्देनजर राज्य विद्युत नियामक आयोग की जन सुनवाई टल गई है। बुधवार को जन सुनवाई आयोग में प्रस्तावित थी। सचिव ने बताया कि सुनवाई की नई तिथि की घोषणा बाद में की जाएगी।

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