देहरादून। संवाददाता। हार्स ट्रेडिंग पर हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद भी राज्य में हुए पंचायत चुनाव नतीजों के बाद जिला पंचायत अध्यक्षों के पदों पर अपने प्रत्याशियों को काबिज कराने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने जोड़ तोड़ शुरू कर दी है। निर्दलीय और बागी प्रत्याशियों का बोलबाला रहने के कारण अब दोनों ही प्रमुख दलों द्वारा इन्हे अपने अपने पाले में खींचने के भरसक प्रयास किये जा रहे है।
भाजपा जो केन्द्र और राज्य की सत्ता पर काबिज है आशातीत सफलता न मिलने से थोड़ी निराश जरूर है लेकिन इसके बावजूद भी उसका पलड़ा भारी दिख रहा है तथा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट इस बात को लेकर आशान्वित दिख रहे है कि सभी 12 जिलों में वह जिला अध्यक्ष पदों पर अपने प्रत्याशियों को बैठा सकेंगे। भाजपा जिसने देहरादून सहित चार जिलों में बीते कल ही अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी, अन्य आठ के बारे में भी जल्द निर्णय लेने की बात कह रहे है। आज शाम एक बार फिर पार्टी मुख्यालय में विजयी प्रत्याशियों से इस पर चर्चा होने जा रही है। अजय भट्ट का कहना है कि उन्हे जो भी प्रत्याशी अपने समर्थन और जीत का भरोसा दिलायेगा बिना किसी भेदभाव के उनके नाम को आगे बढ़ाया जायेगा।
356 जिला पंचायत सदस्यों में से 120 – 122 भाजपा सदस्यों को जीत मिली है जबकि 165 निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए है। जबकि कांग्रेस समर्थित 70 के करीब प्रत्याशी जीते है। यही कारण है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीयों की भूमिका अहम रहने वाली है। अजय भट्ट का कहना है कि बागी और निर्दलीय विजयी प्रत्याशियों के लिए भी पार्टी के दरवाजे खुले है दूसरे चुनावों की तरह अगर वह पार्टी के साथ आते है तो उनकी बात भी सुनी जायेगी। उनका कहना है कि पार्टी सभी को साथ लेकर चलने की नीति पर काम करती है उन्होने अपने पर्यवेक्षक भी सभी जिलों में भेजे है। जिनसे फीड बैक लिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था तथा सौ से अधिक को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया था। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद अब विजयी बागियों को लेकर पार्टी नरम रूख अपनाती दिख रही है।