देहरादून। संवाददाता। उत्तराखंड में शराब पर सियासत तेज़ हो गई है। देवप्रयाग में व्हिस्की प्लांट लगाए जाने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर हैं। कांग्रेस गंगा की धरती पर व्हिस्की प्लांट लगाए जाने पर सवाल उठा रही है तो बीजेपी का कहना है कि इस प्लांट को मंज़ूरी कांग्रेस के कार्यकाल में ही दी गई थी। इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह कहकर कांग्रेस को और मौका दे दिया कि, इस फ़ैक्ट्री से स्थानीय युवाओं को रोज़गार मिलेगा और स्थानीय फलों की खपत होगी, इसलिए यह अच्छी चीज़ है।
धर्मगुरुओं ने भी किया विरोध
बता दें कि देवप्रयाग में हिल टॉप व्हिस्की प्लांट लगाने का मुद्दा कुछ समय से सोशल मीडिया में छा रहा था. फिर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इसे उठाया। उन्होंने हिन्दी और कुमाऊंनी में जनता के नाम एक ट्वीट किया. रावत ने कहा कि जब वह अपने कार्यकाल में फलों, साग-सब्जियों की एल्कोहल युक्त फ्रूटी बनाने के लिए बात कर रहे थे तब खूब विरोध हुआ था। अब जब धर्मनगरी देवप्रयाग के हिल टॉप में व्हिस्की परोसने के प्रोजेक्ट पर सरकार काम कर रही है तो अब सब क्यों खामोश हैं।
इसके बाद साधु संतों की ओर से भी इसका विरोध सामने आने लगा। गंगा महासभा के महामंत्री जितेन्द्र सरस्वती ने बयान जारी कर शराब कम्पनी हिल टॉप का लाइसेंस रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को खुद इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए।
इश्यू नहीं बनाना चाहिए
बीजेपी का कहना है कि हरीश रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में ही इसे मंज़ूरी दी गई थी। इस बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, “पिछली सरकार के समय में इस कंपनी को देवप्रयाग में व्हिस्की बनाने की स्वीकृति मिली थी और वही काम आगे बढ़ा है. मैं समझता हूं कि इसको इश्यू नहीं बनाना चाहिए।