देहरादून। संवाददाता। खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैम्पियन के जिस वीडियो को लेकर दून से दिल्ली तक तहलका मचा रहा और तमाम राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन व राज्य आंदोलनकारी लाल पीले होते दिखे उसे मामले में भाजपा विधायक के खिलाफ कोई भी ठोस कार्यवाही करने में क्यों कतरा रही है भाजपा? आम लोगों ने अब भाजपा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने शुरू कर दिये है कि क्या भाजपा का यही अनुशासन है कि अगर एक आम आदमी मुख्यमंत्री के खिलाफ कुछ बोले तो उसे जेल में डाल दो और अगर अपने विधायक कुछ भी करें उनके सौ खून भी माफ।
भाजपा विधायक द्वारा उत्तराखण्ड के विरूद्व की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर भले ही सूबे के आम आदमी से लेकर राज्य के आंदोलनकारियों तक में भारी आक्रोश है लेकिन अब उससे भी ज्यादा आक्रोश भाजपा की उस कार्य संस्कृति और अनुशासनशीलता को लेकर है जिसका ढोल पीटते पीटते भाजपा नेता कभी थकते नहींं है। अपने विधायक की अनुशासन हीनता पर कार्यवाही करने केे मामले में भाजपा जिस तरह से अलटी पलटी मार रही है उसे लेकर कई तरह की चर्चाए राजनीतिक हलकों में हो रही है। चर्चा है कि विधायक चैम्पियन के पास भाजपा के कई ऐसे राज है जिनका खुलासा होने के डर से भाजपा विधायक के खिलाफ कोई कार्यवाही करने से कतरा रही है।
चर्चा यह भी है कि हरीश रावत के शासन काल में हुए बड़े दल बदल से जुड़े है यह राज। विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गये 10 विधायकों में से कई नेताओं से इस बाबत जब कुछ पत्रकारों ने जब बात करने की कोशिश की तो कोई भी नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ। क्योंकि सभी जानते है कि कुछ भी कहना बिल्ली के गले में घंटी बांधना जैसा ही होगा।
नेता भले ही चुप रहे लेकिन आम आदमी के बीच अभी चर्चायें यही है कि जब जनता दरबार में एक शिक्षिका द्वारा अपनी समस्या रखने पर मुख्यमंत्री इस कदर भड़क सकते है कि गिरफ्तार करने की बात करने लगे और पुरोला के एक युवक जिसे सीएम के खिलाफ टिप्पणी करने पर जेल भिजवा दिया जाता है तब फिर भाजपा ने अपने उस विधायक पर चुप्पी क्यों साध रखी है जो वीडियों में राज्य के बारे में अति आपत्तिजनक टिप्पणी करते दिखायी दे रहे है।
भाजपा नेताओं द्वारा उनके खिलाफ कोई रपट दर्ज क्यों नहीं करायी गयी है। क्यों भाजपा कभी उनके निलम्बन और कारण बताओं नोटिस में उलझी हुई है। क्यों प्रदेश अध्यक्ष उन पर कार्यवाही की बात पर नोटिस का जवाब पर निर्भर होने की बात कर रहे है। भाजपा की कार्यशैली से तो यही लगता है कि वह अब लीपापोती कर रही है। पिछले अनुभव भी इसका सबूत है। यह तय है कि विधायक चैम्पियन की जगह अगर कोई अन्य व्यक्ति होता तो भाजपा उसे अब तक जेल भेज चुकी होती जैसा कि पुरोला के राजपाल को भेजा जा चुका है।