RJD ने उतारे अपने प्रत्याशी तो महागठबंधन के दूसरे दलों ने फंसाया पेंच

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बिहार में उपचुनाव : RJD ने उतारे अपने प्रत्याशी तो महागठबंधन के दूसरे दलों ने फंसाया पेंच

पटना: बिहार में चार विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव अगले महीने 21 तारीख़ को होगा लेकिन इन चुनावों में सीटों के बंटवारे पर राष्ट्रीय जनता दल  ने अपने सहयोगियों के दावों को दरकिनार करते हुए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है.

आपको बता दें कि बिहार में समस्तीपुर लोकसभा के अलावा किशनगंज , सिमरी बख्तियारपुर , नाथनगर , दरौंद-I और बेलहर की विधानसभा सीटों पर मतदान होगा. समस्तीपुर लोकसभा सीट को लेकर जहां एनडीए से लोक जनशक्ति पार्टी का उम्मीदवार होगा वहीं आरजेडी ने यह सीट कांग्रेस पार्टी को देने का मन बनाया है

. लेकिन जहां एनडीए में किशनगंज सीट बीजेपी अपना उम्मीदवार उतारेगी वही बाक़ी के चार सीटों पर जेडीयू ने अपना उम्मीदवार तय कर लिया है. दरौंदा से अब सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह जिन के ऊपर कई सारे मुक़दमा लंबित थे वो पार्टी के उम्मीदवार होंगे. वहीं नाथनगर से लक्ष्मीकांत मंडल उम्मीदवार होंगे तो आरजेडी ने उनके ख़िलाफ़ रबिया खातून को अपना उम्मीदवार बनाया है. दोनों अपने पार्टी के पुराने नेता  रहे हैं. बेलहर सीट पर अब बांका से सांसद गिरधारी यादव ने अपने भाई लालधारी यादव को टिकट दिलाने में कामयाबी पायी तो उनके सामने आरजेडी ने रामदेव यादव को उतारा है.

सिमरी बख़्तियारपुर से जेडीयू ने अरुण यादव को फिर टिकट दिया है तो आरजेडी ने ज़फ़र आलम को उनके मुक़ाबले मैदान में उतारा है. किशनगंज सीट पर कांग्रेस पार्टी ने अभी अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है लेकिन BJP की तरफ़ से स्वीटी सिंह का नाम तय माना जा रहा है. लेकिन महागठबंधन में उम्मीदवारी को लेकर बीच फंसाया है जीतन राम मांझी की ‘हम’ और मुकेश मल्लाह की वीआईपी पार्टी ने.

जहां मांझी ने नाथनगर से अपना उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है तो वहीं मुकेश मल्लाह ने भी सिमरी बख्तियारपुर से अपना उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है.  इसके बाद माना जा रहा है कि कम से कम इन दोनों सीटों पर महागठबंधन में शामिल पार्टियों के एक से अधिक प्रत्याशी होंगे.

हालांकि दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि आरजेडी के शीर्ष नेताओं को उन्होंने दो महीने पहले ही बता दिया था कि इन दोनों सीटों पर उनकी पार्टी की तरफ़ से तैयारी चल रही है लेकिन अगर आरजेडी को ये सीटें नहीं देनी थी तो पहले बताना चाहिए था फ़िलहाल इन सभी राजनीतिक उठापटक के बीच जहां एनडीए और अधिक मज़बूत हुआ हैं वहीं महागठबंधन और कमज़ोर हुआ है।

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