देहरादून : केंद्र की मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना उत्तराखंड में अटल आयुष्मान नाम से चल रही हैं। राज्य में अब तक अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अंतर्गत लगभग 34 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड बना दिए गए हैं, लेकिन अधिकांश परिवारों में सभी सदस्यों के गोल्डन कार्ड नहीं बने हैं। इसी के लिए 25 नवम्बर से 25 दिसम्बर तक विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें 19.68 लाख परिवारों का गोल्डन कार्ड बनाया जाएगा।
इसके अलावा अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत मरीज अब राज्य के बाहर भी मुफ्त इलाज की सुविधा पा सकेंगे। इस योजना के तहत नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा आरंभ होने जा रही है। इस संबंध में हुई बैठक में चेयरमैन डीके कोटिया ने इसकी जानकारी दी।
दरअसल, आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को उत्तराखंड से बाहर भी इलाज की सुविधा है। इसके बावजूद अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत मरीज इलाज के लिए बाहर नहीं जा पा रहे हैं। वह प्रदेश के सरकारी अस्पताल व योजना के तहत संबद्ध निजी अस्पताल में ही इलाज करा सकते हैं। ऐसे में कई गंभीर बीमारियों के इलाज की प्रदेश में बेहतर व्यवस्था न होने के कारण अक्सर ही मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। इससे उन्हें जल्द ही निजात मिलने जा रही है।
नेशनल पोर्टेबिलिटी के तहत मरीजों को राज्य के बाहर भी मुफ्त इलाज की सुविधा देने की तैयारी है। इससे गंभीर बीमारी की सूरत में मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने भी इसे लेकर अपनी सहमति दे दी है।
बता दें, राज्य में न्यूरो सर्जरी, हार्ट सर्जरी, कैंसर और बर्न के इलाज की ज्यादा सुविधा नहीं है। एम्स, हिमालयन अस्पताल, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल आदि में यह सुविधा है तो पर चिकित्सक सीमित हैं। ऐसे में इमरजेंसी की स्थिति में लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसे देखते हुए ही बाहर भी इलाज की सुविधा दिए जाने का फैसला लिया गया है
गोल्डन कार्ड बनाने के लिए 600 विशेष जनसेवा केंद्र
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में गोल्डन कार्ड बनाने के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान की चेयरमैन डीके कोटिया ने समीक्षा की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जिलाधिकारियों, मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारियों से वार्ता करते हुए उन्होंने बताया कि यह योजना सरकार का उच्च प्राथमिकता वाला कार्यक्रम है।
अभियान के दौरान गोल्डन कार्ड बनाने के लिए 600 जन सेवा केंद्र विशेष तौर पर संचालित किए गए हैं। जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी की निगरानी में यह केंद्र सभी जिला कलेक्ट्रट, तहसील एवं विकास खंड मुख्यालय, नगर निगम, नगर पंचायत एवं नगर पालिका परिसर में और जिला अस्पताल, उप जिला अस्पतालों में भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।