देहरादून। जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के पदों के लिए नामांकन होने के बाद आज नामांकन वापसी का दिन रहेगा। भाजपा ने बेशक चार जनपदों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया है, लेकिन चार ही जिलों में वह कठिन चुनौती में फंसी है। बेहद प्रतिष्ठापूर्ण माने जाने वाले पौड़ी, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और चमोली में उसे अपनी जीत के लिए खासी ताकत लगानी पड़ रही हैं।
इन जिलों में पार्टी के मंत्रियों, विधायकों और दर्जाधारियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। यही वजह है कि चुनावी चैसर पर मोहरे फिट करने के लिए पार्टी ने सारे दिग्गजों को झोंक रखा है। वे अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में जाकर जिला पंचायत सदस्यों को भाजपा समर्थित प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने की जुगत में लगे हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव भाजपा की नाक का सवाल है। पार्टी सभी 12 जनपदों में भगवा बुलंद करने की रणनीति बनाकर चल रही है। अपने इस लक्ष्य के पहले चरण में मिली कामयाबी से वह खासी उत्साहित है। पहले चरण में उसके समर्थित प्रत्याशी बगैर चुनाव लड़े अध्यक्ष बन गए हैं। नैनीताल, पिथौरागढ़, यूएस नगर व चंपावत में भाजपा समर्थित जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध हो चुके हैं। देहरादून जिले में पार्टी की उम्मीदें पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चैहान के ऊपर है।
मधु अपनी जीत को लेकर खासी आश्वस्त
पंचायत की सियासत में खासी दखल और अनुभव रखने वाली मधु अपनी जीत को लेकर खासी आश्वस्त नजर आ रही है। पौड़ी में पार्टी ने शांति देवी पर दांव लगाया है, अल्मोड़ा में महेश नयाल पर जीत का दारोमदार है। चमोली में योगेंद्र सेमवाल तो उत्तरकाशी में चंदन पंवार से भाजपा की उम्मीदें बंधी है। पार्टी ने रुद्रप्रयाग में अमरदेई शाह और बागेश्वर में बसंती देवी को उतारा है। वैसे तो पार्टी सोमवार को नामांकन वापसी के बाद कुछ जिलों में तस्वीर साफ होने की आशा कर रही है, लेकिन सात नवंबर को मतदान के बाद तो सब कुछ साफ हो जाएगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट कहते हैं, देहरादून में पार्टी की जीत तय है। हालांकि वे बाकी सभी जिला पंचायतों में भी ऐसा ही दावा कर रहे हैं। लेकिन सियासी जानकारों की मानें तो पौड़ी, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और चमोली में भाजपा के लिए मुकाबला उतना आसान नहीं है। टिहरी और बागेश्वर में बेशक वो कुछ हद तक सहज दिखाई दे रही है, लेकिन बाकी चार जनपदों में उसे ज्यादा परिश्रम करना पड़ रहा है।
सारी सीटें जीतने का दबाव भी है
भाजपा पर प्रदेश की सारी सीटें जीतने का दबाव भी है। यदि वो सभी 12 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर कब्जा जमाने में कामयाब होती है, तो इसे पार्टी अपनी सरकार के ढाई साल के कामकाज के रिपोर्ट कार्ड के तौर पर प्रस्तुत करेगी। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व भी प्रदेश संगठन से ऐसी अपेक्षा कर रहा है कि जिला पंचायतों में भाजपा का वर्चस्व स्थापित हो।