चरमराती व्यवस्था का नमूना ; जीजीआईसी लैंसडौन, छात्राएं 63 और स्टाफ 21 का

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लैंसडौन (पौड़ी गढवाल) : उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई हैं। कही अध्यापकों का अभाव है तो कहीं जरुरत से ज्यादा भरे पड़े हैं। कम छात्र वाले स्कूलो में तैनात शिक्षकों की समायोजन प्रक्रिया के बीच लैंसडौन का जीजीआईसी एकाएक सुर्खियों में आ गया है। पौड़ी गढ़वाल के इस स्कूल की छात्र संख्या 63 है और प्रधानाचार्य समेत यहां 21 लोगों का स्टाफ तैनात है।

दिलचस्प बात यह है कि इस इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट स्तर पर केवल एक छात्रा हैं और 11वीं में एक भी नहीं। यानि जिस दिन यह बालिका किसी वजह से छुटटी पर हो तो इंटर के लिए तैनात स्टॉफ के लिए छुटटी।

मंडल भ्रमण पर निकले अपर निदेशक-बेसिक एसपी खाली जब इस स्कूल में पहुंचे तो संसाधनों का दुरुपयोग देखकर हैरान रह गए। शैक्षिक सुधार के लिए खाली ने मंडल के सभी अधिकारियों को लंबे-चौड़े पत्र लिखे हैं। इसमें उन्होंने अफसरों और शिक्षकों को उनके दायित्वों की याद दिलाई है। वहीं जीजीआईसी लैंसडौंन का विशेष तौर पर उल्लेख करते हुए दुख जताया। यह स्कूल जयहरी खाल ब्लॉक में है।

खाली ने 13 नवंबर को इस स्कूल का औचक निरीक्षण किया। पत्र में उन्होंने सवाल उठाया है कि जब 12वीं कक्षा की इकलौती छात्रा छुट्टी पर रहती होगी तो भला स्कूल के प्रवक्ता क्या करते होंगे? मालूम हो कि सरकारी स्कूलों में गिरती छात्र संख्या को देखते हुए सरकार उपलब्ध संसाधनों को नियोजित और संतुलित करने का प्रयास कर रही है।  इसके तहत कम छात्र संख्या के अनुसार जिन विषयों के शिक्षक सरप्लस हो चुके हैं, उन्हें वहां से दूसरे स्कूलों में भेजा जाएगा। इन अतिरिक्त पदों को समाप्त करने पर भी विचार चल रहा है। कुछ वर्ष पहले भी इसी प्रकार 2500 से ज्यादा एलटी के पद सरेंडर किए जा चुके हैं। राज्य सरकार का मानना है कि या तो इन पदों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए या फिर होल्ड पर रख लिया जाए। यदि भविष्य में कभी छात्र संख्या में इजाफा हुआ तो शिक्षक की नियुक्ति की जा सकेगी।

 

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