देहरादून। देश-दुनिया के भूकंप विज्ञानियों के लिए भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करना अभी तक संभव नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं इस बात की तत्काल सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है। अमूमन भूकंप से जुड़े तमाम डाटा की सटीक जानकारी नहीं मिल पाने से विज्ञानियों को भी तमाम दिक्कतें आती है।
अब देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलाजी के भूकंप विज्ञानियों ने इस दिशा में नई पहल की है। संस्थान के भूकंप विज्ञानियों द्वारा उत्तराखंड, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश में लगाए गए सभी सीसमोग्राफ व एक्सेलेरोग्राफ को उपग्रह से जोड़ रहे हैं। उत्तराखंड के कई इलाकों में लगाए गए दोनों उपकरणों को उपग्रह से जोड़ दिया गया है।
भूकंप विज्ञानियों का मानना है कि यदि उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में लगाए गए सीसमोग्राफ व एक्सेलेरोग्राफ को वी सैट से जोड़ दिया जाता है तो न सिर्फ भूकंप आने के बाद तत्काल इसकी जानकारी मिलेगी, वरन सीसमोग्राफ, एक्सेलेरोग्राफ की ओर से सेटेलाइट के जरिए संस्थान के वैज्ञानिकों को भेजे गए डाटा का तेजी से विश्लेषण किया जा सकेगा। सेटेलाइट से भेजे गए डाटा का विश्लेषण कर भूकंप से जुड़े तमाम पहलुओं के बारे में जल्द से जल्द सटीक जानकारी हासिल की जा सकेगी।
30 स्थानों पर लगाए गए सीसमोग्राफ, एक्सेलेरोग्राफ
संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक उत्तराखंड के टिहरी, भटवाड़ी, मुनस्यारी, हरिद्वार, पिथौरागढ़, गरुड़गंगा व कौसानी में उपकरण लगाए गए हैं। हिमाचल प्रदेश के नद्दी, रेवालसर, टिस्सा, कोठी, धर्मपुर, ऊना, बादल में, हरियाणा के सागा व जम्मू कश्मीर के उरी, जोड़ियां, टोजन, लेथीपुरा, व नंदीग्राम में उपकरण लगाए गए हैं।
स्थान की ओर से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा व जम्मू कश्मीर में लगाए गए सीसमोग्राफ, एक्सेलेरोग्राफ को वी सैट से जोड़ा जा रहा है। कई उपकरणों को जोड़ भी दिया गया है। सभी उपकरणों को सेटेलाइट से जोड़ने के बाद इन राज्यों के अलावा अन्य इलाकों में आने वाले भूकंप से जुड़ी तमाम जानकारियां सेटेलाइट के जरिए संस्थान के वैज्ञानिकों को तत्काल मिल सकेंगी। जानकारी मिलने पर संस्थान वैज्ञानिक भूकंप से जुड़े तमाम डाटा का विश्लेषण कर सकेंगे।
- डॉ. सुशील कुमार, विभागाध्यक्ष भूकंप विज्ञान, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलाजी