- तीनों ही विषय आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
- यदि पलायन रोकना है तो दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार की सुविधायें होना अनिवार्य हैं। जिसके लिए सरकार पूर्व से अधिक प्रभावी योजनायें बनाकर काम कर रही है।
- पलायन रोकने तथा पर्वतीय क्षेत्रों के शिक्षित युवाओं को पहाड़ पर रोजगार मुहैया कराने के लिए सभी बुग्यालों में विंटर डेस्टिनेशन के रूप में विश्व स्तरीय स्किईग काॅम्पलेक्स विकसित किये जायेंगे
हरिद्वार (संवाददाता): प्रदेश भर में एक साथ मनाये जा रहे हिमालय दिवस के अवसर पर ऋषिकुल आॅडिटोरियम हरिद्वार में हिमालय दिवस पर एक संगोष्ठि का आयोजन किया गया। संगोष्ठि को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के पर्यटनमंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हिमालय उत्तराखण्ड के साथ ही सम्पू्र्ण भारत का जीवन का आधार है। हिमालय राज्य के निवासी तथा यहां के प्राकृतिक संसाधनों का उपभोगकर्ता होने के नाते हिमालय के प्रति हमारी जिम्मेदारियां सबसे अधिक हैं। उन्होंने कहा संगोष्ठि के तीनों ही विषय आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि पलायन रोकना है तो दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार की सुविधायें होना अनिवार्य हैं। जिसके लिए सरकार पूर्व से अधिक प्रभावी योजनायें बनाकर काम कर रही है। पलायन रोकने तथा पर्वतीय क्षेत्रों के शिक्षित युवाओं को पहाड़ पर रोजगार मुहैया कराने के लिए सभी बुग्यालों में विंटर डेस्टिनेशन के रूप में विश्व स्तरीय स्किईग काॅम्पलेक्स विकसित किये जायेंगे। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अन्य देशों की तर्ज पर पानी के गर्म स्त्रोतों को पर्यटकों के लिए विकसित कर संचालित किया जायेगा। कुमाउं मण्डल में 12 तथा गढ़वाल मण्डल में 12 कुल 24 भगवती, वैष्णव, शैव मंदिरों को सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना पर कार्य शुरू किया जा रहा है। जिससे यहां के स्थानीय निवासियों को तीर्थाटन के माध्यम से भी आय प्राप्त हो।
उन्होंने कहा कि टिहरी झील दर्शन की ओर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए एक विशेष सबमरीन के जरिये लोगों को झील की सैर करायी जायेगी।
विधायक सुरेश राठौर ने कहा कि हम प्राण वायु तथा जीवन के लिए हिमालय पर निर्भर हैं। हिमालय को बचाना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। सरकार के स्तर पर जो भी कार्य हिमालय, पलायन तथा आजीविका के लिए यहां किये जाने वाले कार्याे के प्रति सरकार पूरी गम्भीरता से कार्य कर रही है। यदि पहाड़ी जनपदों और हिमालय की सुरक्षा तथा पलायन रोकने के लिए मैदानी जनपदों का कहीं कोई सहयोग आवश्यक है तो सरकार में मैदानी जनपदों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी प्रतिनिधि पूर्ण सहयोग देने के लिए तत्पर है।
आचार्य बालकृष्ण ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिमालय में बसे उत्तराखण्ड की सीमायें अन्य देशों की सीमाओं से मिलती हैं और सीमाओं की सुरक्षा के लिए इन जिलों के ग्रामीण हमारे सीमांत गांवों में रक्षा के लिए प्रहरी का कार्य करते हैं। यहां के निवासियों को आजीविका के संकट से बचाने तथा इसके प्राकृतिक संसाधनों व जैव विविधताओं को प्रदेश वासियों के लिए रोजगार सृजन के रूप में प्रयोग कर पलायन रोका जा सकता है।
जिलाधिकारी दीपक रावत ने हिमालय दिवस के अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय से हिमालय व पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देने के लिए अपील की। उन्होंने उपस्थित लोगों से वचन लिया कि जनपद हरिद्वार का कोई भी निवासी पाॅलीथीन का प्रयोग नहीं करेगा तथा किसी दुकानदार द्वारा पाॅलीथीन में सामान देने पर उसका विरोध करे, यही हिमालय व हमारे पर्यावरण संरक्षण में हमारा छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम होगा.
संगोष्ठि में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज उपस्थित हुए। कार्यक्रम में आजीविका, पलायन, आपदा विषयों पर गोष्ठी में वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किये। मुख्य वक्ता के रूप में विधायक सुरेश राठौर, पतंजलि विवि के कुलपति आचार्य बालकृष्ण के अलावा प्रो.महावीर अग्रवाल, पीसी जोशी, बीडी जोशी, डीपी सिंह, गायत्री परिवार शांतिकुज के राकेश कुमार तथा विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्रायें रहीं।