बर्खास्तगी का अल्टीमेटम- 108 कर्मियों की कंपनी से आर-पार की लड़ाई

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देहरादून। संवाददाता। 108 एम्बूलेंस कर्मियों और राज्य में इस सेवा को संचालित करने वाली कंपनी के बीच अब आर पार की जंग छिड़ चुकी है बीते कल से हड़ताल पर गये 108 के कर्मियों ने जहंा अपनी मांगे न मानने तक काम पर न लौटने की बात कही है वहीं जीवीके ईएमआरआई ने हड़ताली कर्मियों को 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर वह काम पर नहीं लौटते है तो उन्हे बर्खास्त कर नई भर्ती शुरू कर दी जायेगी।

108 कर्मियों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर गये 714 कर्मचारियों के कारण पूरे राज्य में 108 स्वास्थ्य सेवा का संचालन आज दूसरे दिन भी पूरी तरह से ठप रहा राज्य की 137 एम्बूलेंस और 95 खुशियों की सवारी के पहिये जाम हो जाने के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस 108 एम्बूलेंस सेवा के जरिए हर रोज प्रदेश के औसतन 350 मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाने का काम किया जाता है बीते कल दून में एम्बूलेंस की सेवा न मिलने के कारण एक प्रसूता को सड़क पर बच्चे को जन्म देने और नवजात की मौत से स्वास्थ्य महकमें मे हड़कंप मचा हुआ है।

डीजी हेल्थ द्वारा 108 सेवा देने वाली कम्पनी को साफ निर्देश दिया गया है कि वह या तो शीघ्र व्यवस्था को सुधारे अन्यथा स्वास्थ्य विभाग अपने ड्राइवरों द्वारा 108 का संचालन करायेगा। भले ही उसे दूसरे राज्यों से ड्राइवरो की व्यवस्था करनी पड़े। 108 के राज्य प्रभारी मनीष टिंकू का कहना है कि अगर कल शाम तक कर्मचारी अपने काम पर नहीं लौटते है तो उन्हे बर्खास्त कर दिया जायेगा और उनकी जगह नई भर्ती कर एक सप्ताह के अन्दर व्यवस्था को पूर्णतया सुचारू कर दिया जायेगा। उन्होने कहा कि कम्पनी ने नये कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है।

उधर 108 के हड़ताली कर्मचारियों ने भी कम्पनी प्रबन्धन को चेतावनी दी है कि वह बाहरी लोगों को भी काम नहीं करने देंगे। उनका कहना है कि कम्पनी प्रबन्धन द्वारा उनकी मांगो पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा है जबकि उनकी मांगे उचित है। स्थिति इतनी अधिक खराब है कि कल सुबह से लेकर आज सुबह तक एक हजार से अधिक काल एम्बूलेंस के लिए आ चुकी है। सरकार ने इस मुद्दे से यह कहकर हाथ झाड़ लिये है कि इसका संचालन सरकार नहीं करती कम्पनी कर रही है। सवाल यह है कि सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी, कम्पनी कर्मचारियों की मांग नहीं मानेगी इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

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