देहरादून। संवाददाता। भले ही अभी लोकसभा चुनाव में तीन माह का समय शेष है तथा सत्तारूढ़ भाजपा अपनी चुनावी रणनीतियों को धार देने में जुटी हो और दिल्ली में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में अमित शाह और नरेन्द्र मोदी नेताओं को नेताओं को जीत का मंत्र दे रहे हो लेकिन वहीं दूसरी ओर चुनाव से पूर्व ही टिकट के दावेदार नेताओं के बीच मारामारी शुरू हो गयी है।
भाजपा के नेताओं की सोच है कि केन्द्र में एक बार फिर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की ही सरकार बनने जा रही है इसलिए हर कोई एक बार फिर मोदी लहर पर सवार होकर संसद पहुंचने का सपना देख रहा है। पार्टी हाईकमान के स्तर से आयी इस खबर के बाद कि वह इस बार सांसदों के चेहरे बदलना चाहती है नेताओं की टिकट पाने की चाहत और अधिक प्रखर हो गयी है। अभी से उन्होने अपनी गोटियां फिट करना शुरू कर दी है और दावेदारियों का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
पौड़ी संसदीय सीट से सांसद भुवन चंद खण्डूरी स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ रहे है। यह खबर मिलते ही भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व हाल में ही राष्ट्रीय सचिव बनाये गये तीरथ सिंह रावत ने अपना दावा इस सीट पर ठोक दिया है। उनका कहना है कि पौड़ी क्षेत्र में जैसी उनकी पकड़ है वैसी अन्य किसी की नहीं है। उधर बीसी खण्डूरी की बेटी ऋतू खण्डूरी भी इस सीट पर दावेदार है। यही नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल भी अपना दावा कर रहे है। रिर्जव कोटे की अल्मोड़ा सीट पर भाजपा किसे चुनाव मैदान में उतारेगी यह तो पता नहीं लेकिन प्रदेश सरकार में मंत्री रेखा आर्य ने अपनी दावेदारी पेश करते हुए कहा है कि उन्होने पार्टी के नेताओं को अपनी इच्छा बता दी है। फिलहाल इस सीट से अजय टम्टा सांसद है। रेखा आर्य ने इस सीट से अपने चुनाव लड़ने की दावेदारी 2014 में भी की थी।
उधर कबीना मंत्री यशपाल आर्य अब लोकसभा जाने का रास्ता ढूंढ रहे है उन्होने भी नैनीताल सीट से अपनी दावेदारी पेश की है भाजपा के दो सांसद राज्य लक्ष्मी शाह और भगत दा पार्टी की नीतियों को लेकर पहले ही अपनी नाराजगी जता चुके है। दिल्ली दरबार से आयी पुराने चेहरो को बदलने की खबरों से यह नेता असहज महसूस कर रहे है। वहीं हरिद्वार में निकाय चुनाव में हार के बाद सांसद निश्ांक की सीट भी खतरे में बतायी गयी है वह भी बार बार यही कह रहे है कि पार्टी जहां से भी चुनाव लड़ाना चाहेगी वह किसी भी सीट से चुनाव लड़ने को तैयार है। यह चुनावी जंग आसान नहीं रहने वाली है इसके आसार अभी से दिखायी देने लगे है।