एबीवीपी का छात्रसंघ चुनवों में इस बार का प्रदर्शन केवल चेहरा बचाने भर का रहा है. संगठन का कुमायूं के कालेजों में तो थोडा ठीक था परन्तु गुटबाजी के कारण एबीवीपी को गढ़वाल के देहरादून स्थित डीएवी कालेज के प्रतिष्ठा के चुनाव में मुंह की खानी पडी. लेकिन एनएसयूआइ का हाल तो बेहाल ही रहा इसलिए एबीवीपी के जिम्मेदार लोग ख़ुशी मना रहे हैं।
देहरादून/हल्द्वानी : सत्तारूढ़ भाजपा के वैचारिक रूप से निकट माने जाने छात्र संगठन एबीवीपी का छात्रसंघ चुनवों में इस बार का प्रदर्शन केवल चेहरा बचाने भर का रहा है. संगठन का कुमायूं के कालेजों में तो थोडा ठीक था परन्तु गुटबाजी के कारण एबीवीपी को गढ़वाल के देहरादून स्थित डीएवी कालेज के प्रतिष्ठा के चुनाव में मुंह की खानी पडी. लेकिन एनएसयूआइ का हाल तो बेहाल ही रहा इसलिए एबीवीपी के जिम्मेदार लोग ख़ुशी मना रहे हैं।
कुमाऊं के 42 डिग्री कॉलेजों में से 18 कॉलेजों में एबीवीपी के अध्यक्ष प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। एनएसयूआइ केवल सात कॉलेजों में ही अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज कर सकी है। संगठन के बिना ही चुनाव लडऩे वाले 17 निर्दलीय प्रत्याशियों ने अध्यक्ष पद दबदबा कायम किया। हालांकि कुमाऊं के सबसे बड़े एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी में एबीवीपी को मुंह की खानी पड़ी।
छात्रसंघ चुनाव के ओवरऑल प्रदर्शन से एबीवीपी खुश है, लेकिन हल्द्वानी, रामनगर, काशीपुर, रुद्रपुर आदि बड़े कॉलेजों में जीत हासिल न करने से मायूसी भी है। इस बार फिर एनएसयूआइ प्रदर्शन नहीं सुधार सकी। केवल सात कॉलेजों में ही जीत मिली। जहां कुमाऊं के 17 कॉलेजों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने अध्यक्ष पद हासिल किया, वहीं नैनीताल जिले के 10 कॉलेजों में से छह में भी निर्दलीय प्रत्याशी ही जीते।