उत्तराखण्ड सरकार के पास नहीं हैं शहीदों के आंकड़े

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देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड के अब तक के शहीद जवानों की संख्या पर असमंजस की स्थिति बन गई है। सैनिक कल्याण निदेशालय के रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 1947 से अब तक प्रदेश के 1637 सैन्य अधिकारियों और जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया, जबकि रक्षा मंत्रालय उत्तराखंड के शहीदों की संख्या 2272 बता रहा है।

गढ़ी कैंट छावनी परिषद चीड़बाग में उत्तराखंड का पहला वार मेमोरियल बन रहा है। इस मेमोरियल में 1947 के बाद से अब तक शहीद हुए प्रदेश के सैन्य अधिकारियों और जवानों के नाम दर्ज होने हैं। इसके लिए कैंट बोर्ड ने सैनिक कल्याण निदेशालय से शहीदों की लिस्ट मांगी। सूत्रों के मुताबिक निदेशालय ने कैंट बोर्ड को 1637 शहीदों की लिस्ट थमाई। लेकिन कैंट बोर्ड के अधिकारियों को लिस्ट अधूरी प्रतीत हुई।

इस पर रक्षा मंत्रालय से भी लिस्ट मंगवाई गई तो रक्षा मंत्रालय ने प्रदेश के शहीदों की संख्या 2272 बताते हुए पूरे नाम भेज दिए। इस तरह स्पष्ट है कि प्रदेश सैनिक कल्याण निदेशालय के पास शहीदों का पूरा विवरण तक नहीं है। कैंट सीईओ जाकिर हुसैन ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने कुल 2272 शहीदों की संख्या उपलब्ध करवाई है। कैंट बोर्ड इसी लिस्ट को सही मानते हुए सभी नाम दर्ज करेगा।

वार मेमोरियल के लोकार्पण में देरी
वार मेमोरियल के काम में देरी के चलते 16 दिसंबर को विजय दिवस पर इसका लोकार्पण नहीं हो पाएगा। शिलान्यास के बाद 16 दिसंबर की डेडलाइन तय गई थी। मौके पर अभी बुनियाद भरने का ही काम चल रहा है। कैंट सीईओ जाकिर हुसैन ने माना कि अभी मेमोरियल के लोकार्पण में कुछ और समय लगेगा।

रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों की जानकारी नहीं
उपनिदेशक सैनिक कल्याण निदेशालय मेजर (रिटायर्ड) बीपी गुरुंग का कहना है कि विभाग जिलावार आंकड़ा प्राप्त कर अपने पास रखता है। रक्षा मंत्रालय ने कैंट बोर्ड को क्या आंकड़ा उपलब्ध करवाया है, इसके बारे में पता नहीं है। अगर उनकी संख्या ज्यादा है तो वह सूची हमें उपलब्ध करवाएं। हम अपने स्तर से इस सूची का सत्यापन करेंगे। हो सकता है, कुछ नाम हमारे पास नहीं हों, इनको शहीदों की लिस्ट में जोड़ा जा सकता है।

 

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