तीनों कृषि कानून वापस लेने समेत अन्य मांगें पूरी होने के बाद दिल्ली की सीमाओं से किसानों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है। नारसन बॉर्डर पहुंचे क्षेत्रीय किसानों का फूल मालाओं से स्वागत किया गया। बड़ी संख्या में लोग स्वागत के लिए बॉर्डर पर उमड़े और डीजे की धुन पर डांस किया। इस दौरान किसानों पर पुष्पवर्षा भी की गई।
पिछले एक साल से किसान तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग पर दिल्ली के गाजीपुर समेत अन्य बॉर्डर पर धरने पर थे। जिले से भी बड़ी संख्या में किसान धरने पर डटे हुए थे। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करते हुए किसानों से घर लौटने की अपील की थी।
इस घोषणा से किसानों में खुशी थी, लेकिन वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने, पराली जलाने को अपराध न मानने, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे देने की मांग पूरी हुए बिना आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं थे। ऐसे में सरकार को इन मांगों को मानना पड़ा। इसके बाद किसानों ने 11 दिसंबर से घर वापसी का सिलसिला शुरू कर दिया।
नारसन क्षेत्र के कई किसान भी घर के लिए रवाना हुए। दोपहर करीब तीन बजे किसान दिल्ली से नारसन बॉर्डर पहुंचे। यहां क्षेत्रीय लोगों ने फूल मालाओं के साथ पुष्प वर्षा कर और डीजे बजाकर किसानों का स्वागत किया। इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि इतिहास में पहली बार दिल्ली में किसानों ने एक वर्ष तक आंदोलन किया और फतह हासिल करने के बाद ही वापस लौट रहे हैं।
जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री ने कहा कि गर्मी, बरसात और सर्दी में बॉर्डर पर डटे रहना काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सभी किसानों और मजदूरों ने हिम्मत नहीं हारी। अब जीत के बाद वापस लौट रहे हैं। यह जीत सिर्फ किसानों कि नहीं है बल्कि उन सभी की है, जो आंदोलन के समर्थन थे।
आंदोलन समाप्ति के बाद घर लौटने वाले किसानों की सुरक्षा को लेकर पुलिस तैनात रही। नारसन बॉर्डर से मंगलौर गुड़ मंडी तक पुलिस किसानों के साथ रही। वहीं, नारसन बॉर्डर से मंगलौर गुड़ मंडी तक कई स्थानों पर किसानों का स्वागत किया गया।