आचार संहिता लगने से पहले क्या उत्तराखंड सरकार पूरी कर पाएंगी ये चुनौतियां?

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उत्तराखंड सरकार के सामने कामकाज के लिए अब करीब डेढ़ महीने का ही समय बचता है। पिछले चार चुनावों के इतिहास पर नजर डाले तो दो बार दिसंबर अंत और दो बार जनवरी मध्य में आचार संहिता लागू हो चुकी है। इस लिहाज से इस बार भी जनवरी दूसरे सप्ताह से पहले आचार संहिता लागू होनी तय मानी जा रही है।  सियासी गतिविधियां तेज होने के साथ ही अब हर किसी की जुबान पर विधानसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने को लेकर सवाल है।

प्रदेश की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल आगामी 23 मार्च को समाप्त हो रहा है। इस तिथि से पहले नई विधानसभा का गठन जरूरी है। इसके लिए जनवरी से मार्च के बीच निर्वाचन प्रक्रिया सम्पन्न की जानी है। प्रदेश में तीन बार फरवरी में मतदान हुआ, एक बार 30 जनवरी को ही मतदान सम्पन्न हो चुका है।

चुनाव तैयारी कर रहे नेताओं की नजर भी आचार संहिता पर लगी है। नेताओं के अनुसार यदि उत्तराखंड में चुनाव यूपी के साथ अंतिम चरण में होता है तो फिर चुनाव का खर्च कई गुना बढ़ जाएगा। कारण जनवरी में आचार संहिता लगने से मार्च तक मतदान के बीच पूरा ढाई महीने का अंतर है। इस कारण चुनाव खर्च दो गुना तक बढ़ जाएगा। इसलिए ज्यादातर लोग उत्तराखंड में यूपी के प्रथम या दूसरे चरण के साथ ही मतदान की उम्मीद कर रहे हैं।

डेढ़ महीने में ये रहेंगी चुनौतियां
नजूल का मुद्दा: 
नजूल अध्यादेश अधर में लटकने के चलते सरकार को अब नजूल आवंटन के लिए नए सिरे से कानूनी प्रावधान करने होंगे।
सस्ती हवाई सेवा: पिथौरागढ़ के लिए हेलीसेवा महंगी पड़ रही है, सरकार पर देहरादून से विमान सेवा शुरू करने का दबाव, ताकि किराया कम हो।
देवस्थानम बोर्ड: देवस्थानम बोर्ड पर मचे बवाल के बीच समाधान के लिए सरकार की ओर से तय की गई 30 नवंबर की तिथि भी करीब आ गई है।
भू कानून: भू कानून में सख्त प्रावधान करने का मुद्दा युवा मतदाताओं के बीच खासा असरकारी, सरकार कमेटी बना चुकी है, ठोस निर्णय का दबाव।
भर्तियों में तेजी: रिक्त पदों पर भर्ती अब भी अधर में लटकी हुई है। बेरोजगारों को राहत देने का दबाव ।
गोल्डन कार्ड: सरकारी कर्मचारी गोल्डन कार्ड में बदलाव का दबाव बनाए हुए हैं। एक साल से अधिक समय से चल रही है इसकी मांग है।
वेतन विसंगति: राज्य कर्मचारी एसीपी सहित, वेतन विसंगतियों को दूर करने को सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं।
टैबलेट वितरण: प्रदेश के ढाई लाख से अधिक छात्रों को टैबलेट वितरण चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। इतनी मात्रा में टैबलेट खरीदने में समय लग रहा है।
कुमाऊं में एम्स: कुमांऊ में सेटेलाइट एम्स की घोषणा तो हो चुकी है, अब सरकार को इसके लिए स्थान का अंतिम चयन करना है।
टिहरी सुरंग: टिहरी झील में पर्यटन विकास के लिए देहरादून से टिहरी कोटी कॉलोनी तक 25 किमी लंबी सुरंग की घोषणा भी आगे नहीं बढ़ पाई।

पिछले चुनाव
साल    घोषणा       मतदान 

2017     4 जनवरी  15 फरवरी
2012    24 दिसंबर  30 जनवरी
2007    29 दिसंबर  21 फरवरी
2002    16 जनवरी 14 फरवरी

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