उत्तराखंड ने केंद्र सरकार से पर्यावरणीय सेवाओं में उत्तराखंड के सराहनीय योगदान को देखते हुए ग्रीन बोनस और आपदाग्रस्त राज्य होने के चलते विशेष पैकेज देने की मांग की है। क्षतिग्रस्त सड़कों के लिए 500 करोड़ और जलविद्युत परियोजना के लिए दो हजार करोड़ (500 करोड़ प्रति वर्ष) देने की मांग रखी है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठक की। जिसमें प्रदेश से कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने राज्य के हितों को लेकर कई प्रस्ताव रखे। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की एसडीजी 2020 रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड की रैकिंग में सुधार हुआ है। वर्ष 2019 की रिपोर्ट में राज्य की दसवीं रैकिंग थी, जो अब तीसरी हो गई है।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मांग की है कि पर्यावरणीय सेवाओं में उत्तराखंड का सबसे बड़ा योगदान है। भविष्य में केंद्र की ओर से इंटर स्टेट के आधार पर वित्तीय संसाधन का आवंटन में इसे भी शामिल किया जाना चाहिए। तक तक उत्तराखंड को ग्रीन बोनस के रूप में अलग से बजट मिलना चाहिए।
इसके अलावा दुर्गम क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए 2000 करोड़ की राशि गैप फंडिंग के रूप में राज्य को दी जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान मानकों से प्राप्त धनराशि आपदा से क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जिससे सड़कों के निर्माण के लिए 500 करोड़ प्रति वर्ष की धनराशि राज्य को दी जाए।
आईसीडी स्थापित करने को मांगी बीएचईएल की 35 एकड़ जमीन
केंद्रीय वित्त मंत्री से मांग की है कि सरकार की औद्योगिक नीतियों के कारण निवेशक राज्य में निवेश करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं। राज्य का 70 प्रतिशत भू-भाग पर्वतीय क्षेत्र होने के बावजूद 16 हजार करोड़ का निर्यात हो रहा है। जिसमें बढ़ोतरी के लिए राज्य में एक इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) स्थापित किया जाना है। इसके लिए बीएचईएल की 60 वर्षों से खाली पड़ी 35 एकड़ भूमि राज्य को हस्तांतरित की जाए। इसके अलावा फार्मा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हरिद्वार में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फार्मा एजुकेशन एंड रिसर्च संस्थान स्थापित किया जाए।