नैनीताल। चारों तरफ हरियाली, घना जंगल और वातावरण में कल-कल कर बहते पानी, ऊंचाई से गिरते झरने और चिड़ियों की चहचहाहट की मंत्रमुग्ध कर देने वाली ध्वनि। कमी है तो बस इस खूबसूरत नजारे का आनंद लेने वाले प्रकृति प्रेमियों की। इसकी वजह अविश्वसनीय जरूर है लेकिन सच है कि नैनीताल नगर के बेहद पास होने के बावजूद इस खूबसूरत लेकिन लगभग अज्ञात और अनाम झरने का न तो प्रशासन को पता है न ही आम लोगों को।
नैनीताल से सिर्फ 11 किमी दूर यह बारहमासी सदानीरा झरना सड़क से बिलकुल लगा हुआ है और नैनीताल से बमुश्किल 15-20 मिनट में यहां पहुंचा जा सकता है। इसके बावजूद इसके अब तक अज्ञात रहने की मुख्य वजह यह है कि यहां तक आने का मार्ग हाल तक बना नहीं था। यह घने जंगलों के बीच में स्थित है। मार्ग न होने से यहां जा पाना कठिन और खतरों से भरा भी था। पिछले कुछ वर्षों में इसके पास से मोटर मार्ग तो बन गया लेकिन उस पर यातायात अभी भी सुचारु नहीं है। इस कारण इस मार्ग पर केवल आवश्यक कार्य होने पर वह भी स्थानीय आस पास के ग्रामीणों का ही आवागमन होता है जबकि अन्य लोग उधर कम ही जाते हैं। यह झरना भवाली सेनेटोरियम के ठीक नीचे से दूनीखाल जाने वाले मार्ग पर सेनेटोरियम से तीन किमी दूरी पर मुख्य मार्ग से मात्र 150 मीटर ऊपर जंगल के बीच में स्थित है।
देखने में दूधधारा, सुनने में जलतरंग
जंगल के बीचोंबीच बहने वाली जलधारा इसकी खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देती है। यहां घोर सन्नाटे के बीच झरने, बहते पानी और चिड़ियों की चहचहाहट की आवाज सम्मोहक तो है ही लेकिन यह भी आभास कराती है कि सन्नाटे की भी एक आवाज होती है जिसे इस सबके बीच यहां महसूस भी किया जा सकता है। इसके आसपास अनेक जंगली जानवरों और तरह-तरह के पक्षी भी नजर आते हैं। दूध जैसे श्वेत जल और पानी में तरंग जैसी ध्वनि के आधार पर इसे दूधधारा या जलतरंग भी कहा जा सकता है। (संवाद)
मामूली सुविधाओं से बदल सकती है सूरत
-सेनेटोरियम के पास इसके पहुंच मार्ग तक साइन बोर्ड लगा कर। -मुख्य मार्ग से झरने तक की पहुंच को मामूली रूप से सुधार कर।
-सड़क के आसपास लोगों के बैठने को शेड बेंच लगाकर।
-शौचालय जैसी सामान्य सुविधा उपलब्ध करके।
ट्रेकिंग के लिए बेहतरीन है क्षेत्र
यह पूरा क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है। यहां पैदल ट्रैक और पिकनिक का अलग ही आनंद है। चारों ओर हरियाली, जंगल और घाटियों और दूर दराज बसे छोटे छोटे गांवों का दृश्य बहुत ही मनमोहक है। ज्यादातर मार्ग कच्चा लेकिन सीधा और चौड़ा है जो ट्रैक को आसान बना देता है। वैसे लगभग आठ किमी दूर दूनीखाल और उससे आगे ढलान वाले मार्ग से चोरसा होते हुए पैदल या छोटे वाहन से अल्मोड़ा मार्ग स्थित रातीघाट निकला जा सकता है। दूनीखाल से लगभग चार किमी साधारण चढ़ाई वाले मार्ग से सीधे नैनीताल के स्नोव्यू भी आ सकते हैं। या नैनीताल से पैदल ही दूनीखाल होते हुए भी इस झरने तक जाया जा सकता है।
नैनीताल के इतने नजदीक घने जंगल में एक विशाल झरना की जानकारी मुझे भी जानकारी नहीं है जबकि तीन वर्ष से अधिक समय से यहां रह रहा हूं। यह इस क्षेत्र के लिए प्रकृति की एक नायाब देन है। जल्द ही इसके आसपास का सौंदर्यीकरण कर क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
-बीजूलाल टीआर, डीएफओ नैनीताल