उत्तराखंड गठन से अब तक छह नेताओं को मिला केंद्र में मौका, एक बार दो नेताओं को मिली थी एंट्री  

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उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से अजय भट्ट को मिलाकर अब तक प्रदेश के हिस्से में कुल छह केंद्रीय मंत्री आएं हैं। इनमें से मात्र एक बार ऐसा मौका आया, जब एक साथ उत्तराखंड से बीसी खंडूड़ी और बची सिंह रावत केंद्रीय मंत्री बने।

वर्ष 1999 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अल्मोड़ा से चार बार सांसद रहे बची सिंह रावत को मंत्री बनने का मौका मिला। उस वक्त उन्हें केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। इसी दौरान पहली बार लोकसभा पहुंचे भुवन चंद्र खंडूड़ी पर भी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भरोसा जताया और उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया।

इसके साथ उन्हें महत्वपूर्ण सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। उसी दौरान देश की राजधानी दिल्ली को अन्य राज्यों से जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना परवान चढ़ी। जिसमें खंडूड़ी ने खूब वाहवाही लूटी। यही वजह रही कि 2003 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी प्राप्त हो गया। इसके बाद 15वीं लोकसभा में मनमोहन सरकार में हरीश रावत को पहले राज्य मंत्री और फिर कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला।

उन्हें जल संसाधन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके बाद मोदी सरकार की पहली इनिंग में वर्ष 2016 में उत्तराखंड के कोटे से अजय टम्टा को मंत्री बनने का मौका मिला। उन्हें कपड़ा राज्य मंत्री का दायित्व सौंपा गया था।

इसके बाद वर्ष 2019 में मोदी के दूसरे कार्यकाल में रमेश पोखरियाल निशंक को केंद्रीय मानव संसाधन विकास जैसे भारी भरकम मंत्रालय को संभालने का मौका मिला, लेकिन निशंक अपनी पारी पूरी नहीं खेल पाए। बुधवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें जाना पड़ा। अब बारी अजय भट्ट की है।

केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट उन भाग्यशाली सांसदों में से हैं जो पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल गई। मोदी कैबिनेट में राज्यमंत्री बनाए जाने पर उन्होंने अमर उजाला से कहा कि मैं पीएम मोदी की टीम का सिपाही हूं, उनका और जनता को जो आदेश होगा, उस पर हर हाल में चलूंगा।

भट्ट ने कहा कि उनकी प्राथमिकताएं वही हैं, जो केंद्र सरकार की देश और उत्तराखंड राज्य के लिए हैं। उनका प्रयास होगा कि मंत्रालय की जिम्मेदारियों को निभाते हुए राज्य के हितों से जुड़े मसलों की मजबूत पैरवी करें।

 

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