प्रदेश में दो दिन हुई मौत की बारिश ने जमकर कहर बरपाया है। आलम यह है कि इस साल पूरे मानसून सीजन के दौरान बारिश, भूस्खलन से कुल 36 लोगों की जान गई थी। मंगल-बुधवार की बारिश-बर्फबारी में 58 लोगों की जान चली गई। इस हिसाब से 60 फीसदी से ज्यादा मौतें पिछले दो दिन में हुईं हैं।
मात्र दो दिन की बारिश ने 58 लोगों की जान गई
कुदरती कहर ने 2013 की केदारनाथ आपदा की याद ताजा कर दी है। राज्य में मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के बाद सरकार सजग थी, लेकिन यह इतना भयावह रूप ले लेगी, इसका किसी को अंदाजा नहीं था। पूर्व चेतावनी के बाद भी नुकसान ज्यादा हुआ। मात्र दो दिन की बारिश ने 58 लोगों की जान ले ली।
इस तरह से पिछले करीब तीन माह 15 जून से और 20 अक्तूबर के बीच दैवीय आपदा के कारण प्रदेश में कुल 88 लोगों की जान चली गई। 45 लोग घायल और 17 लापता बचाए गए हैं। इनमें 15 लोगों की जान भूस्खलन, 66 आकस्मिक बाढ़, बादल फटने और भारी वर्षा के कारण मारे गए। जबकि एक व्यक्ति की मौत बिजली गिरने और छह अन्य की मौत विभिन्न कारणों से हुई।
आपदा में सर्वाधिक मौतें नैनीताल जिले में हुईं हैं। यहां 28 लोगों की जान चली गई। खास बात यह है कि यह सभी मौतें पिछले दो दिन में हुई हैं। इससे पहले पूरे मानसून सीजन में यहां बारिश के कारण मरने वालों का आंकड़ा शून्य था।
15 जून को मानसून सीजन शुरू होने के बाद अब तक पिथौरागढ़ में 14, अल्मोड़ा में नौ, बागेश्वर में चार, ऊधमसिंह नगर में पांच, चंपावत में नौ, चमोली में एक, देहरादून में दो, हरिद्वार में शून्य, पौड़ी में तीन, टिहरी में तीन और उत्तरकाशी में चार मौतें हुई हैं। इसके अलावा कुमाऊं के विभिन्न जिलों में छह लोगों की मौत हुई है।