ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना का काम तेजी से चल रहा है। जिसके तहत पांच किलोमीटर सुरंग बनकर तैयार हो गई है। 15 फरवरी तक यह कार्य रेल विकास निगम की ओर यह काम पूरा किया गया ।आरवीएनएल ने हर दिन 100 मीटर सुरंग बनाने का लक्ष्य रखा है। इस सुरंग का निर्माण आपदा को देखते हुए किया गया है। कोरोना काल के चलते देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम भी बाधित रहा। मगर लॉकडाउन समाप्त होने के बाद परियोजना का काम तेजी से आगे बढ़ा। रेल विकास निगम ने सभी नौ पैकेज के कार्य के लिए टेंडरिग के पश्चात वर्क आर्डर जारी कर दिए हैं। 16216 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही है।
यह डिजाइन पूरी तरह से अलग है। रेल विकास निगम के वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुडी ने जानकारी की कि 126 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के नौ पैकेज में 80 (फेस) प्रवेश द्वार होंगे। उन्होंने बताया कि 31 मार्च तक 50 प्रवेश द्वार बना लिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने किसी भी आपदा जैसे भूकंप, बाढ़ और आग से निजात पाने के लिए साइट स्पेसिफिक स्पेक्ट्रम स्टडी तैयार की, जिसे विदेशों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की ओर से जांचा गया है। भूस्खलन से बचने के लिए पोरल स्टेबलाइजेशन किया गया है। सुरंग का डिजाइन इन सभी महत्वपूर्ण बातों को देखते हुए किया गया है। उन्होंने बताया कि सभी पैकेज पर एक ठेकेदार और आरवीएनएल का एक एक कर्मचारी तैैनात रहता है। सभी पैकेज में पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखा गया हैै