भारतीय किसान यूनियन के युवा नेता गौरव टिकैत ने कहा कि युवा, बुजुर्ग किसान और महिलाओं के एकजुट होकर आंदोलन में भागीदारी से आज किसानों को अपने हक की लड़ाई में कामयाबी मिली।
वाहे गुरु जी द खालसा वाहे गुरु जी दी फतेह’
उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश के राज्य प्रभारी बलजिंदर सिंह मान ने कहा कि 13 महीने बॉर्डर पर बैठकर आंदोलन किया गया। इसमें 750 से अधिक किसान शहीद हुए। आज उन्हीं के बलिदान और किसानों के आंदोलन की वजह से देश की अहंकारी सत्ता को तीनों काले कृषि कानून वापस लेने पड़े। इस दौरान अरदास भी की गई और ‘वाहे गुरु जी द खालसा वाहे गुरु जी दी फतेह’ के उद्घोष भी लगे।
रविवार को सिली जागीर गांव में भारतीय किसान यूनियन के उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश राज्य प्रभारी बलजिंदर सिंह मान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में जीत हासिल करने के बाद 380वें दिन अपने घर लौटे। उन्होंने चार दिसंबर 2020 से लेकर 19 दिसंबर 2021 तक आंदोलन में भागीदारी की और घर से दूरियां बना ली थीं। मान ने तीनों कृषि कानून वापस कराकर ही घर लौटने का संकल्प लिया था। आज जब वह गांव पहुंचे तो उनके परिवार व गांव के लोगों ने भव्य स्वागत किया।
इस दौरान उनके घर पर किसानी मोर्चा फतेह पर शुकराने की अरदास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस उपलक्ष्य में बीते 17 दिसंबर को रखे गए श्री अखंड पाठ साहिब का रविवार को भोग पड़ा।
मान ने कहा कि लोग कहते थे कि कानून कभी वापस नहीं हो सकते। लेकिन इतिहास है कि किसानों ने देश के लिए बलिदान दिया है तो अपने हक के लिए किसान कैसे पीछे रह सकता है। वहां जत्थेदार बाबा मोहन सिंह, मनीदेव चतुर्वेदी, गुरप्रीत सिंह औजला, जसवंत सिंह जस्सा, गुरसेवक सिंह महार, राजवीर सिंह, गुरप्रीत सिंह देओल, गुरसाहब सिंह गिल आदि थे।