नई दिल्ली : दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग द्वारा करवाए गए एक अध्ययन में 93 प्रतिशत मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक कानून का समर्थन किया है. मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि इस कानून से मुस्लिम महिलाओं को नया जीवन मिला है.
अध्ययन में बीते जनवरी-फरवरी माह में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के 30 क्षेत्रों की 600 मुस्लिम महिलाओं से बातचीत की गई थी. जिसमें उनका यह सकारात्मक रूख सामने आया है. विशेष बात यह कि इनमें से 66.3 प्रतिशत महिलाएं विवाहित थीं और इन सभी का एक विवाह हुआ था. इनमें से कोई एक साथ तीन तलाक जैसी कुरीति से भी नहीं गुजरी थी.
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने अध्ययन रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि तीन तलाक का कुछ अज्ञानी पुरुषों ने ही इस्तेमाल किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययन में हिस्सा लेने वाली सभी महिलाओं का मानना था कि बहुविवाह गलत है और इस पर रोक लगाने का सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला किया है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘यह दर्शाता है कि मुसलमानों में बहुविवाह प्रचलित होने की धारणा गलत है.” वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली में उत्तर-पूर्वी जिले में सबसे अधिक 29.34 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.
100 फीसद मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच तीन तलाक के खिलाफ आंदोलन चलाने वाली प्रमुख संस्था ने कहा कि देश की 100 फीसद मुस्लिम महिलाएं इस कुरीति के खिलाफ हैं. गिरेबान तो उनको झांकना चाहिए, जो इस कानून को मुस्लिम धर्म पर हमला बता सियासत कर रहे थे. मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता यासिर जिलानी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह अध्ययन काफी हद तक सही है.