गुरुवार देर रात जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में उत्तराखंड के दो जवान शहीद हो गए। इनमें टिहरी निवासी राइफलमैन विक्रम सिंह और चमोली के सांकरी गांव निवासी राइफलमैन योगंबर सिंह शामिल हैं। यह मुठभेड़ पुंछ जिले के मेंढर सेक्टर में आतंकियों की तलाश में चलाए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान हुई। शुक्रवार सुबह बेटों की शहादत की सूचना मिलते ही दोनों परिवारों में कोहराम मच गया। राइफलमैन विक्रम सिंह और योगंबर सिंह गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे। पुंछ जिले के मेंढर में चलाए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की ओर से हुई गोलाबारी में गंभीर रूप से घायल होने के बाद उत्तराखंड के दोनों लाल शहीद हो गए। विक्रम सिंह के परिजनों को शुक्रवार सुबह 11 बजे बेटे के शहीद होने की सूचना मिली। तहसीलदार रेनु सैनी ने बताया कि शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचने की अभी स्पष्ट सूचना नहीं मिली है।उधर, पोखरी तहसील के सांकरी गांव निवासी योगंबर सिंह (26) के शहीद होने की खबर मिलते ही पोखरी क्षेत्र में मातम छा गया। योगंबर सिंह के पार्थिव शरीर को सेना द्वारा सांकरी लाया जा रहा है। शनिवार को पैतृक घाट पर सैनिक सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
सीमा पर देश के लिए शहादत देने वाले उत्तराखंड के राइफलमैन विक्रम सिंह नेगी (26) पुत्र साब सिंह नेगी अभी डेढ़ माह पहले ही ड्यूटी पर गए थे। हमेशा की तरह बृहस्पतिवार शाम छह बजे भी उन्होंने व्हाट्सअप पर पत्नी और मां से बातचीत की थी। विक्रम ने बताया था कि पूजा के लिए वे 22 अक्तूबर को घर पहुंच जाएंगे। लेकिन बेटे के शहीद होने की खबर मिलते ही परिवार की खुशियां मातम में बदल गईं।
गजा तहसील क्षेत्र में ग्राम पंचायत खडवाल गांव के विमाण गांव निवासी साब सिंह नेगी के इकलौते बेटे विक्रम सिंह पांच साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। तीन साल पहले ही विक्रम की शादी हुई थी। डेढ़ माह पहले ही विक्रम कुछ दिनों की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे।
रोज की तरह उन्होंने बृहस्पतिवार शाम करीब छह बजे डेढ़ साल के बेटे प्रियांक, पत्नी पार्वती और मां से व्हाट्सअप पर बात की। बातचीत में विक्रम ने वादा किया था कि 22 अक्तूबर को पूजा के लिए वह घर पहुंच जाएंगे। उन्होंने मां और पत्नी से पूजा की तैयारी करने को भी कहा।लेकिन शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे यूनिट से विक्रम के शहीद होने की खबर ने परिवार की सारी खुशियां छीन ली। पति के शहीद होने की खबर सुनते ही पत्नी पार्वती बेहोशी की हालत में पहुंच गई। शहीद की मां और बुजुर्ग दादी भी अपने लाडले की याद में दिनभर रोती रहीं।गांव के प्रधान और शहीद के चाचा सुरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि शहीद के पिता हिसार में नौकरी करते हैं। उन्हें शुक्रवार दोपहर तक बेटे के शहीद होने जानकारी नहीं थी। उन्हें फोन कर जल्द घर आने को कहा गया है। विक्रम सिंह के शहीद होने की खबर मिलते ही गांव में मातम पसर गया। गांव के लोग दिनभर नम आखों से परिजनों को सांत्वना देते रहे।