मुख्यमंत्री धामी ने कठोर कार्यवाही कर स्पष्ट संदेश दिया है कि उच्चाधिकारियों द्वारा राजकीय कार्यों के निर्वहन में की गयी घोर लापरवाही पर यह आदेश पारित किये गये हैं।आदेश में साफ लिखा गया है कि निचले स्तर के अधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाही कर उच्चाधिकारियों द्वारा गंभीरतापूर्व समय पर कार्यवाही न करना अपने कार्यों एवं दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही को प्रदर्शित करता है।
क्या है मामला
दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के मोरघट्टी व पाखरो फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के आसपास अवैध निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। याचिकाकर्ता की ओर से उन्हें हटाने की मांग करते हुए कहा गया था कि इन निर्माण कार्यों को बंद करने से बाघ सहित अन्य जंगली जानवरों को बचाया जा सकेगा।
एनटीसीए ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अवैध निर्माण कार्यों की जांच के लिए एक कमेटी गठित की। कमेटी ने जांच में पाया कि नेशनल पार्क के मोरघट्टी व एफआरएच परिसर के कई क्षेत्रों में अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं। इनमें होटल, भवन, पुल और सड़क आदि शामिल हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को निर्देश दिए कि इन क्षेत्रों से शीघ्र अवैध निर्माणों को हटाया जाए। जिन अधिकारियों की अनुमति से ये निर्माण कार्य किए गए हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि वन विभाग के अधिकारियों ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972, इंडियन फॉरेस्ट एक्ट 1927 व फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 का उल्लंघन किया है।