राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में मंगलवार को आयोजित समारोह में पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। इस दौरान उत्तराखंड की दो हस्तियों डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय और किसान प्रेम चंद शर्मा को पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा।
दून के प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ.भूपेंद्र कुमार सिंह संजय को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। हड्डी का सबसे बड़ा ट्यूमर निकालने का रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज है। सर्जरी में हासिल की गई उपलब्धियों को देखते हुए ही उनका नाम लिम्का और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। उन्होंने वर्ष 1980 में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से एमबीबीएस किया था। फिर उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ और सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली में सेवा दी। इसके बाद वह स्वीडन, जापान, अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया में फेलोशिप के जरिये अपना हुनर तराशते रहे। उनके नाम कई रिसर्च जर्नल भी हैं। गेस्ट टीचर के रूप में जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, मलेशिया सहित कई देशों में व्याख्यान भी दे चुके हैं। वर्ष 2005 में हड्डी का सबसे बड़ा ट्यूमर निकालने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज हुआ। इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की उत्तराखंड शाखा के वह संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं। साथ ही कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सदस्य हैं। वह उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में सलाहकार और एचएनबी गढ़वाल विवि की एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य भी रहे हैं।
देहरादून जिले के चकराता ब्लाकर के हटाल गांव के प्रगतिशील किसान प्रेम चंद शर्मा को भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा है। शर्मा ने खेती किसानी में नए वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल कर एक मिसाल पेश की। सेब, अनार समेत अन्य बैमौसमी सब्जियों का उत्पादन कर किसानों को प्रोत्साहित किया। सेब व अनार की नई किस्म का उत्पादन किया। साथ ही आर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में सिंचाई की समस्या के चलते प्रेम चंद शर्मा ने प्लास्टिक मल्चिंग और टपक सिंचाई का प्रयोग कर सफलतापूर्वक अनार की खेती की। पहाड़ में खेती की उनकी इस तकनीक से मृदा नमी बनी रही और 25 से 30 फीसदी तक उत्पादन बढ़ा। शर्मा कृषि के क्षेत्र में अपने गांव को मॉडल गांव बनाना चाहते हैं।