कुंभ मेले में कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े के मामले में लिप्त मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरत पंत व मलिका पंत के जमानत प्रार्थनापत्र पर नैनीताल हाईकोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी है। अदालत ने इस मामले में सरकार को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि पूर्व में कोर्ट ने उक्त की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी लेकिन पुलिस जांच में उक्त परगंभीर आरोप पाए गए, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें निचली अदालत में पेश होने के लिए कहा था। निचली अदालत ने उक्त की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार शरत पंत एवं मलिका पंत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वे मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेस में सर्विस प्रोवाइडर हैं। परीक्षण और डाटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉरपोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसके अलावा परीक्षण और डाटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था। इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दे दी।
कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान आरोपियों की ओर से खुद को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट आदि कराए गए। 2021 में एक व्यक्ति ने सीएमओ हरिद्वार को एक पत्र भेजकर शिकायत की थी कि कुंभ मेले में टेस्ट कराने वाले लैबों द्वारा उनकी आईडी व फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया है, जबकि उसने रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने के लिए कोई सैंपल नही दिया था।