केरल: वामपंथ की निराला बात; फ्री फूड किट का स्टाक कर दिया पार्टी ऑफिस में, बाढ़ पीड़ितों के चंदे में भी की थी धाँधली

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  • केरल सरकार द्वारा पिछले दिनों केरल में फ्री फूड किट के वितरण की स्कीम शुरू की गई। ये किट सभी राशन कार्ड धारकों के अलावा उन्हें भी बाँटी जा रही है जो लोग क्वारंटाइन में रह रहे हैं। मगर द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक राशन कार्डधारकों के बीच वितरण के लिए दिए गए सैकड़ों फूड किट केरल में विभिन्न जगहों पर वामपंथी पार्टी के कार्यालयों से मिले हैं।
  • यह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के लिए शर्मिंदगी की बात है। आरोप है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दुकान के मालिकों(जो पार्टी कार्ड होल्डर हैं) ने अपने कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालयों में नि:शुल्क फूड किट का स्टॉक कर लिया।

नई दिल्ली : वामपंथी मित्रों के कारनामे भी निराले होते हैं। अपने एक मात्र बचे गढ़ में वामपंथी लगता हैं अपनी अंतिम यात्रा की तैयारी में हैं। कोरोना संकट दौर में एक और लोग रोजी रोटी से बंचित हो परेशान हैं तो वही वामपंथी अपने लोगों की राहत सामग्री में डंडी मार उसे अपने दफ्तरों में छुपा कर बैठे हैं।

केरल सरकार द्वारा पिछले दिनों केरल में फ्री फूड किट के वितरण की स्कीम शुरू की गई। ये किट सभी राशन कार्ड धारकों के अलावा उन्हें भी बाँटी जा रही है जो लोग क्वारंटाइन में रह रहे हैं। मगर द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक राशन कार्डधारकों के बीच वितरण के लिए दिए गए सैकड़ों फूड किट केरल में विभिन्न जगहों पर वामपंथी पार्टी के कार्यालयों से मिले हैं।

यह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के लिए शर्मिंदगी की बात है। आरोप है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दुकान के मालिकों(जो पार्टी कार्ड होल्डर हैं) ने अपने कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालयों में नि:शुल्क फूड किट का स्टॉक कर लिया।

बुधवार को, भारतीय जनता पार्टी और कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं ने चन्नागसेरी के पास, मदप्पल्ली में भारतीय कम्युनिटी पार्टी (मार्क्सवादी) के एक स्थानीय समिति के कार्यालय के सामने धरना दिया। जिसमें राशन दुकान के डीलर पर फूड किट को पार्टी कार्यालय में पहुँचाने का आरोप लगाया।

जिसके बाद, पुलिस की एक टीम घटनास्थल पर पहुँची और दुकान के मालिक को उस सामान को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने का निर्देश दिया।

गुरुवार को वैकोम के टीवीपुरम में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी जब पुलिस और नागरिक आपूर्ति अधिकारियों की एक टीम ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एक कार्यालय पर छापा मारा था। पार्टी कार्यालय में कम से कम लगभग 200 PDS किट मिलने से अधिकारी हैरान रह गए थे।

वामपंथी मित्रों द्वारा इस तरह की धांधली करना नई बात भी नहीं है। पिछले दिनों भी केरल में केरल बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में फंड जमा करवाने के नाम पर वामपंथियों का असली चेहरा उजागर हुआ था। कोच्चि म्यूजिक फाउंडेशन ने 1 नवंबर 2019 को बाढ़ पीड़ितों को राहत प्रदान करने हेतु एक कॉन्सर्ट किया था। इसका उद्देश्य पैसा इकट्ठा कर बाढ़ प्रभावित लोगों की आर्थिक मदद करना था। मगर, सीएमडीआरएफ (मुख्यमंत्री राहत कोष) में कोई पैसा जमा नहीं हुआ। एक आरटीआई के जरिए इस तथ्य का खुलासा हुआ, जिसमें राज्य आर्थिक विभाग ने स्वयं इसकी पुष्टि की थी।

इसके अलावा 2018 बाढ़ राहत कोष का पैसा स्थानीय सीपीएम नेता अनवर के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया था। एर्नाकुलम जिला कलेक्टर एस सुहास के अनुसार ऐसा जानबूझकर किया गया। शुरुआती जाँच में मार्च 2019 में कलेक्ट्रेट ऑफिस से बाढ़ राहत कोष के 325 लाभार्थियों के नाम सही नहीं पाए जाने का पता चला। इन फर्जी नामों के लिए जो पैसा आया वो कथित तौर पर सीपीएम नेता अनवर के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया।

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