कोर्ट ने हैदराबाद दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

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delhi high court
दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने कुछ मीडिया प्रतिष्ठानों द्वारा हैदराबाद दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को केंद्र से जवाब मांगा।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने केंद्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और दिल्ली की सरकारों के साथ ही कुछ मीडिया प्रतिष्ठानों और सोशल नेटवर्किंग मंचों को भी नोटिस जारी किए। इन सभी को 16 दिसंबर तक नोटिस के जवाब देने हैं।

याचिका में मीडिया प्रतिष्ठानों और उन व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया गया है जिन्होंने बलात्कार पीड़िता की पहचान कथित तौर पर उजागर की है। किसी बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना कानूनन अपराध है। इस मामले में अब 16 दिसंबर को आगे सुनवाई होगी।

भारतीय दंड संहिता की धारा 228 ए, दुष्कर्म समेत कुछ अपराधों के पीड़ित की पहचान को उजागर करना दंडनीय बनाती है जिनके लिए दो साल तक की कैद और जुर्माने की सजा मिल सकती है।

यह याचिका दिल्ली के वकील यशदीप चहल ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि इसका मकसद आईपीसी की धाराओं और उच्चतम न्यायालय की नजीरों का उल्लंघन करते हुए दुष्कर्म पीड़िताओं की पहचान उजागर करने के चलन पर रोक लगाना है।

उन्होंने कहा कि व्यक्तियों और मीडिया प्रतिष्ठानों द्वारा हैदराबाद बलात्कार कांड की पीड़िता और चार आरोपियों की पहचान उजागर करने पर विस्तृत खबरें विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन पोर्टल पर प्रकाशित-प्रसारित कर धारा 228 ए का घोर उल्लंघन किया गया है।

अधिवक्ता चिराग मदान और साई कृष्ण कुमार के जरिए दायर इस याचिका में आरोप लगाया है कि पीड़िता और आरोपी व्यक्तिों की पहचान लगातार उजागर करने को रोक पाने में राज्य पुलिस अधिकारियों और उनके साइबर प्रकोष्ठों ने निष्क्रियता दिखाई है।

तेलंगाना में 27 नवंबर की रात चार व्यक्तियों ने 27 वर्षीय महिला पशु चिकित्सक से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी थी।

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