घोड़ा चलाकर मजदूरी को मजबूर 10वीं की छात्रा शोभा, दो दिन काम के बाद तीसरे रोज जाती है स्कूल

0
684

चम्पावत के लधिया घाटी के बालातड़ी गांव की शोभा भट्ट का घोड़े में सामान लाद कर मजदूरी करना नियति बन चुका है। दिव्यांग पिता और माता के बीमार होने से घर चलाने की जिम्मेदारी दसवीं में पढ़ने वाली शोभा के कंधे पर आ गई है।  पढ़ने की उम्र में मजदूरी करने से शोभा की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस वजह से पढ़ाई कर ऊंचा मुकाम हासिल करने का शोभा का सपना भी चकनाचूर हो रहा है।

बालातड़ी गांव की शोभा भट्ट तमाम सरकारों के चलाए जा रहे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारे को आइना दिखा रही है। बालातड़ी जीआईसी की छात्रा शोभा बीते दो साल से घोड़े में सामान लाद कर परिवार का भरण पोषण कर रही है। शोभा ने बताया कि उनके पिता हीरा बल्लभ भट्ट घोड़े में सामान लाद कर परिवार चलाते थे। दो साल पूर्व पिता को मिर्गी के दौरे पड़ना शुरू हुए। कई बार इलाज कराने के बाद भी पिता की बीमारी ठीक नहीं हो सकी। इसी दौरान मां पार्वती देवी भी बीमार रहने लगी।

यहीं से शोभा की मुश्किलों का दौर शुरू हुआ।  परिवार में अकेली होने की वजह से उसने पढ़ाई के साथ ही घोड़े में सामान लाद कर मजदूरी करना शुरू किया। शोभा रतिया नदी से रेत ढोती हैं। इसके अलावा भिंगराड़ा बाजार से राशन समेत अन्य सामान भी गांव पहुंचाती हैं। इस कार्य में शोभा को बेहद मामूली रकम हासिल होती है। मजदूरी करने से शोभा की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शोभा का सपना पुलिस अधिकारी बनना है। लेकिन मजदूरी करने की मजबूरी शोभा के सुनहरे सपनों पर भारी पड़ रही है।

दो दिन मजदूरी करने के बाद स्कूल जाती है शोभा
पढ़ाई के प्रति जबरदस्त ललक होने के बाद भी शोभा नियमित रूप से स्कूल नहीं जा पाती। शोभा का कहना है कि दो दिन घोड़े में सामान लाद कर तीसरे दिन स्कूल जा पाती हैं। उन्होंने बताया कि मजदूरी के अलावा घर का काम निपटाने से उसकी पढ़ाई प्रभावित होती है। बावजूद इसके शोभा रात के समय दो घंटे का समय पढ़ाई के लिए निकालने की कोशिश करती हैं।

शिक्षकों ने की छात्रा शोभा को मदद करने की पहल
जीआईसी बालातड़ी के शिक्षकों ने छात्रा शोभा की मदद को हाथ आगे बढ़ाया है। शिक्षक चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि स्कूल स्टाफ ने शोभा की मदद के लिए 12500 रुपये जुटाए हैं। शोभा को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए शिक्षक सोशल मीडिया में अभियान चला रहे हैं।

LEAVE A REPLY