- तिब्बत के नीमा तेंजिन को अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का बड़ा हुजूम उमड़ पड़ा, जिसमें ‘विकास रेजिमेंट जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए गए। नीमा तेंजिन की अंतिम यात्रा में राम माधव जैसे बड़े नेता का शामिल होना चीन के लिए एक कड़ा सन्देश बताया जा रहा है। भारत-चीन तनाव के बीच लैंड माइंस की चपेट में आने के कारण उनकी मौत हो गई थी। बता दें कि 29-30 अगस्त की रात चीन के सैनिकों ने भारतीय क्षेत्रों में गड़बड़ी की कोशिश की थी, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया।
नई दिल्ली : भारत अब चीन को उसके घर में ही घेरने को तैयार है। उसके कब्जाए इलाकों में ही उसे घेरा जा रहा है, जो विस्तारवादी चीन की दुखती रग है। ज्ञात हो कि सब-सेक्टर नॉर्थ से लेकर सब-सेक्टर साउथ तक 5000 ITBP के जवानों को लद्दाख और चीन सीमा से सटे उससे जुड़े इलाकों में तैनात किया गया है।
बता दें कि हाल ही में जब चीन ने सीमा पर मौजूदा स्थिति को बिगाड़ने का प्रयास किया था तो उसे नाकाम करने में ITBP के जवान भी शामिल थे। पांगोंग त्सो के दक्षिण में ऊँचाई वाली जगहों पर भारतीय सेना मौजूद है, जिससे चीन के हर इरादे को नाकाम किया जा सकता है।
कौन थे? बलिदानी नीमा तेंजिन
लेह में बलिदान हुए तिब्बती कमांडो नीमा तेंजिन ‘स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स’ का हिस्सा थे। नीमा तेंजिन का पूरे रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी शामिल हुए। तिब्बत के नीमा तेंजिन को अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का बड़ा हुजूम उमड़ पड़ा, जिसमें ‘विकास रेजिमेंट जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए गए।
नीमा तेंजिन की अंतिम यात्रा में राम माधव जैसे बड़े नेता का शामिल होना चीन के लिए एक कड़ा सन्देश बताया जा रहा है। भारत-चीन तनाव के बीच लैंड माइंस की चपेट में आने के कारण उनकी मौत हो गई थी। बता दें कि 29-30 अगस्त की रात चीन के सैनिकों ने भारतीय क्षेत्रों में गड़बड़ी की कोशिश की थी, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया।
नीमा तेंजिन की अंतिम विदाई में भारत और तिब्बत के झंडे साथ-साथ दिखे। इस मौके पर लेह में तिब्बत की आज़ादी का भी नारा गूँजा। भारत ने चीन को ये सन्देश दे दिया है कि तिब्बती भी उसके अपने ही हैं और उनके गौरव और पराक्रम पर भारत को गर्व है। ‘आजतक’ के अनुसार, लेह के स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि ये पहली बार है जब किसी तिब्बती के योगदान को इस तरह से भारत ने इतना सम्मान दिया है।
पत्रकार दावा डोलमा ने कहा कि ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी को ये समझाएँ कि सेना में शामिल होने के लिए उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है, ऐसा वे अपनी इच्छा से कर रहे हैं। इस दौरान लेह में तिब्बती नागरिकों ने वहाँ के स्थानीय गीत गाए। ‘भारत माता की जय’ के नारे भी लगे। चीन हमेशा से तिब्बत के प्रति संवेदनशील रहा है और दलाई लामा से भारत की नजदीकियों का भी विरोध करता रहा है।