- सरकार मई से नवंबर तक के इस समय को नहीं गँवाना चाहती है। उन्होंने बताया कि सैन्य गतिरोध कब तक चलेगा इसका कोई पता नहीं है। यह कई हफ्तों तक भी जारी रह सकता है।
- कोरोनवायरस प्रकोप के बावजूद, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) चीन सीमा के पास सड़क और सुरंग निर्माण के लिए 40000 श्रमिकों को नियुक्त करने की योजना बना रहा था।
नई दिल्ली : चीन सीमा के पास सड़क निर्माण के लिए करीब 12 हजार श्रमिकों को झारखंड से ले जाने की रक्षा मंत्रालय तैयारी कर रहा है। इसके लिए 11 स्पेशल ट्रेने मॉंगी गई है। ट्रेनों से मजूदरों को जम्मू और चंडीगढ़ ले जाया जाएगा। इसके बाद उन्हें चीन की सीमा से सटे इलाकों में ले जाए जाएँगे। एक हिंदी समाचार पत्र ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है।
सूत्रों ने उक्त समाचार पत्र को बताया है कि 22 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड से 11,815 प्रवासी कामगारों को ले जाने के लिए 11 विशेष ट्रेनों की व्यवस्था करने का रेल मंत्रालय को निर्देश दिया था। यह महत्वपूर्ण कदम लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) के साथ चार स्थानों पर भारतीय और चीनी सेना के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए उठाया गया है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार मई से नवंबर तक के इस समय को नहीं गँवाना चाहती है। उन्होंने बताया कि सैन्य गतिरोध कब तक चलेगा इसका कोई पता नहीं है। यह कई हफ्तों तक भी जारी रह सकता है।
इस प्रकार, बचे हुए सड़क परियोजनाओं को अनिश्चित समय तक के लिए नहीं रोका जा सकता है। कुछ निर्माण कार्य लद्दाख में रणनीतिक दरबुक-श्योक-डोलेट बेग ओल्डी सड़क पर पहले ही शुरू हो चुके हैं।
कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस मामले से अवगत कराया था। लॉकडाउन को खत्म करने की योजनाओं को लेकर मुख्यमंत्रियों से बातचीत के दौरान ही इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। ज्यादातर श्रमिक झारखंड के दुमका के रहने वाले हैं।
राज्य सरकार से कहा गया है कि वह भारतीय रेल द्वारा इस तरह की यात्रा को सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार को सूचित करे। चीन द्वारा सीमा पर श्रमिकों के आवागमन के लिए 19 मई को केंद्र द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन किया जाएगा।
गुरुवार को समाचार पत्र ने दावा किया था कि कोरोनवायरस प्रकोप के बावजूद, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) चीन सीमा के पास सड़क और सुरंग निर्माण के लिए 40000 श्रमिकों को नियुक्त करने की योजना बना रहा था।
लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हन के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे क्षेत्रों में, मिलिट्री और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए बुनियादी ढॉंचे का विकास जरूरी है।
रिपोर्ट के अनुसार, 15 मई को, लद्दाख प्रशासन ने बीआरओ को लिखा था कि उन्हें उन श्रमिकों को लेकर कोई आपत्ति नहीं है, जिन्होंने परियोजना के लिए आवेदन किया है। हालांकि, अन्य स्थानों से लद्दाख पहुँचने वाले श्रमिकों के लिए सोशल डिस्टेंसिग के दिशा-निर्देशों और 14 दिनों के लिए अनिवार्य क्वारंटाइन का पालन करना बहुत जरूरी है। 2022 के अंत तक बीआरओ को सीमा के साथ 61 रणनीतिक सड़कों को पूरा करने का काम सौंपा गया है। यह सशस्त्र बलों को आगे के क्षेत्रों में तेजी से जुटाने में मदद करेगा।
आपको बता दे चीन सेना ने अपने लगभग 5000 जवानों को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास अभ्यास की आड़ में भारतीय पक्ष की ओर मोड़ दिया था। 5-6 मई को सिक्किम के नाकुला सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हाथापाई हुई। इसके बाद दोनों ही देशों ने सीमा पर अतिरिक्त जवानों को तैनात किया है, जिसमें लद्दाख में गलवान घाटी प्रमुख है।
भारत और चीन के बीच तनाव लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) को लेकर बुधवार को थोड़ा कम हो गया। चीन ने इस मामले में संघर्षपूर्ण दृष्टिकोण से इतर कहा कि भारत के साथ सीमा पर स्थिति “पूरी तरह से स्थिर और नियंत्रण में है।” चीन द्वारा सफेद झंडे दिखाने के पीछे भारत सरकार और सेना का आक्रामक रवैया ही सबसे बड़ी वजह माना जा सकता है।