दीपेंद्र सिंह हुड्डा का आरोप- निर्दलीय उम्मीदवारों पर दबाव बना रही BJP

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दीपेंद्र सिंह हुड्डा का आरोप- निर्दलीय उम्मीदवारों पर दबाव बना रही BJP, ये सब कांग्रेस के साथ आना चाहते हैं

दिल्ली: कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा पर हरियाणा में निर्दलीय उम्मीदवारों पर दबाव बनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र में स्वीकार नहीं है. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए दीपेंद्र ने कहा, ‘बीजेपी निर्दलीय उम्मीदवारों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है क्योंकि उनमें से ज्यादातर हमारे साथ आना चाहते हैं. यह लोकतंत्र में स्वीकार नहीं किया जा सकता. भरोसेमंद उम्मीदवारों को स्वतंत्र रूप से उस पार्टी को चुनने में सक्षम होना चाहिए, जिसे वे समर्थन करना चाहते हैं. मैं मीडिया के माध्यम से चुनाव आयोग से इसके बारे में अपील करना चाहता हूं.’

साथ ही उन्होंने कहा, ‘आज यह स्पष्ट हो गया कि लोग खट्टर सरकार को गिराना चाहते हैं. मैं दुष्यंत चौटाला (जेजेपी), स्वतंत्र उम्मीदवारों और अन्य दलों से हरियाणा में एक साथ आने और गठबंधन सरकार बनाने के लिए कहना चाहता हूं ताकि लोगों के जनादेश का सम्मान किया जा सके.’

रोहतक से पूर्व लोकसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि मैं जमीन से जुड़ा हुआ व्यक्ति हूं. मुझे लोगों की नब्ज पता थी. लोगों ने मन बनाया था कि इस सरकार को सत्ता से बाहर करेंगे. मीडिया बार-बार बीजेपी को अच्छी से ज्यादा सीटें दिखाती थी. मीडिया कुछ लोगों को भ्रमित करने में जरूर सफल हुई. वरना लोग पूरी तरह से इस सरकार को निकालने का मन बना चुके थे. चुनाव से तीन हफ्ते पहले जब हुड्डा साहब और कुमारी शैलजा के नाम पर घोषणा हुई तो लोगों को सकारात्मक विकल्प मिला

वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हमें थोड़ा और समय मिलता तो पूर्ण बहुमत मिल जाता. जनादेश हरियाणा की भाजपा सरकार के खिलाफ है. मैं कांग्रेस, JJP, INLD, BSP और निर्दलीय सबको मिलकर एक मजबूत सरकार बनानी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री पद ऑफर करने जैसी अभी कोई बात नहीं है, बैठकर बात करेंगे. मेरी दुष्यंत चौटाला से कोई बात नहीं हुई. सोनिया जी हमारी नेता है, उन्होंने फोन करके बधाई दी. मौजूदा सरकार बहुत विफल रही, हर वर्ग इन से नाराज था. 2014 में 154 वादे किए थे लेकिन कोई भी पूरा नहीं किया. बीजेपी के मंत्रियों की हार हुई है इसलिए नैतिकता के आधार पर उनको खुद सरकार छोड़ देनी चाहिए और सरकार बनाने का प्रयास भी नहीं करना चाहिए.

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