भारतीय वन्यजीव संस्थान में वरिष्ठ वैज्ञानिक व नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की नोडल अधिकारी डॉ रुचि बड़ोला ने बताया कि वैसे तो उत्तराखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक गंगा नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने को लेकर तमाम कार्यक्रमों को संचालित किया जा रहा है।गंगा प्रहरियों के जरिए नदी के किनारे बसे गांवों के ग्रामीणों को इस बात की जानकारी दी जा रही है कि आखिरकार वे नदी को साफ सुथरा बनाने में अपने स्तर पर कैसे योगदान दे सकते हैं। वही गंगा प्रहरियों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे नदी में मृतकों के शव को फेंके जाने पर भी पैनी नजर रखें। साथ ही लोगों को ऐसा ना करने के प्रति जागरूक करें।
2500 से अधिक गंगा प्रहरी हैं प्रदेश में
विश्वबैंक की ओर से मिला था 4535 करोड़ का बजट
नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत विश्व बैंक की तरफ से बड़े पैमाने पर बजट मुहैया कराया जा रहा है। दिसंबर 2021 तक विश्व बैंक की ओर से 4535 करोड़ का बजट आवंटित किया जा चुका है। इतना ही नहीं, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत 25000 करोड़ रुपये की लागत वाली 313 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी हैं।
यूपी-बिहार में मिले थे गंगा में शव फेंके जाने के मामले
पिछले दिनों उतर प्रदेश, झारखंड, बिहार समेत कई राज्यों में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बाद शवों का गंगा में फेंके जाने का मामला उजागर हुआ था। इसके बाद से गंगा की स्वच्छता को लेकर सरकारें सक्रिय हुई और अपने-अपने क्षेत्र में निगरानी के आदेश दिए थे।