देसी कोरोना वैक्‍सीन का इंसानों पर ट्रायल शुरु, 14 शहरों में इंसानों पर ‘सेफ्टी एंड स्‍क्रीनिंग’ ट्रायल, परिणाम उत्साहजनक

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  • वैक्‍सीन का ट्रायल देश में अलग-अलग शहरों के 14 रिसर्च इंस्‍टीट्यूट्स में किया जा रहा है। इ
  • न शहरों में नई दिल्ली, रोहतक, हैदराबाद, विशाखापट्नम, पटना, कानपुर, गोरखपुर, भुवनेश्वर, चेन्नई और गोवा शामिल हैं। पटना एम्‍स में चार दिन पहले ट्रायल शुरू हो चुका है।
  • वैक्‍सीन आने में लगेगा कम से कम एक साल तीन माह का वक्त

नई दिल्ली : देसी कोरोना वैक्‍सीन Covaxin पर आज हरियाणा के रोहतक पीजीआई में वॉलंटिअर्स के पहले ग्रुप को Covaxin की पहली डोज दी गई। इस वैक्‍सीन का ट्रायल देश में अलग-अलग शहरों के 14 रिसर्च इंस्‍टीट्यूट्स में किया जा रहा है। इन शहरों में नई दिल्ली, रोहतक, हैदराबाद, विशाखापट्नम, पटना, कानपुर, गोरखपुर, भुवनेश्वर, चेन्नई और गोवा शामिल हैं। जबकि पटना एम्‍स में चार दिन पहले ट्रायल शुरू हो चुका है।

हरियाणा के हेल्‍थ मिनिस्‍टर अनिल विज के मुताबिक, तीनों कैंडिडेट्स के शरीर ने वैक्‍सीन को आसानी से स्‍वीकार कर लिया। उनपर किसी तरह का कोई साइड इफेक्‍ट देखने को नहीं मिला है। 18 से 55 साल की उम्र वाले स्‍वस्‍थ लोगों को यह वैक्‍सीन दो डोज में दी जानी है। फेज 1 ट्रायल में दूसरी डोज 14वें दिन पर दी जाएगी। टोटल 1,125 वॉलंटिअर्स पर स्‍टडी होनी है जिसमें से 375 पहले फेज में शामिल होंगे और 750 दूसरे फेज में। टेस्‍ट के बीच में 4:1 का रेशियो होगा। यानी अगर 4 मरीज को वैक्‍सीन दी जाएगी तो एक को सिर्फ देने का नाटक किया जाएगा। इसे साइकॉलजी में placebo कहते हैं।

शुरुआती डोज कम रहेगी। ट्रायल में यह देखा जाएगा कि वैक्‍सीन देने से किसी तरह का खतरा तो नहीं है, उसके साइड इफेक्‍ट्स क्‍या हैं। कोविड-19 के अलावा लिवर और फेफड़ों पर कैसा असर हो रहा है, यह भी जांच की जाएगी। इसीलिए पहले फेज को ‘सेफ्टी एंड स्‍क्रीनिंग’ कहा गया है।

डेटा पर ICMR के साइंटिस्‍ट रखेंगे नजर

ICMR ने उन्‍हीं इंस्‍टीट्यूट्स को चुना है जहां पर क्लिनिकल फार्माकॉलजी विंग है और ह्यूमन ट्रायल में एक्‍सपीरिएंस वाले हेल्‍थकेयर प्रोफेशनल्‍स हैं। ट्रायल में जल्‍दबाजी नहीं की जा सकती क्‍योंकि इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि वैक्‍सीन इंसानों पर इस्‍तेमाल के लिए सुरक्षित है। ट्रायल की सारी डिटेल्‍स ICMR को भेजी जाएंगी। वहीं पर डेटा को एनलाइज किया जा रहा है।

वैक्‍सीन आने में लगेगा एक साल तीन माह का वक्त

क्लिनिकल ट्रायल्‍स रजिस्‍ट्री पर मौजूद प्रोटोकॉल के अनुसार, पहले फेज में कम से कम एक महीना लगेगा। उससे मिले डेटा को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के सामने पेश करना होगा फिर अगली स्‍टेज की परमिशन मिलेगी। फेज 1 और 2 में कुल मिलाकर एक साल और तीन महीने का वक्‍त लग सकता है।

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