दिल्ली। भविष्य निधि पीएफ के नए नियमों को वित्त मंत्रालय ने अधिसूचित कर दिया है। इससे मौजूदा भविष्य निधि यानी खातों को दो अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया जाएगा। इसके जरिए सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक के कर्मचारी योगदान से हुई ब्याज की कमाई पर टैक्स लगा वसूला जा सकेगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पीएफ पर टैक्स की गणना के नियम जारी किए हैं। इनकम टैक्स (25वां संशोधन) नियम, 2021 के अनुसार पीएफ के अलग खाते बनाए जाएंगे। इसके बाद, सभी मौजूदा कर्मचारी भविष्य निधि खातों को कर योग्य व गैर कर योग्य योगदान वाले खातों में बांटा जाएगा।
अधिसूचना के अनुसार 31 मार्च 2021 तक किसी भी पीएम योगदान पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा, लेकिन वित्त वर्ष 2020-21 के बाद पीएफ खातों पर मिलने वाला ब्याज कर योग्य होगा और उसकी गणना अलग-अलग की जाएगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का बजट पेश करते हुए पीएफ में नियोक्ता व कर्मचारी के 2.5 लाख रुपये तक योगदान की उच्च सीमा तय की थी। इसका मकसद यह था कि उच्च आय वाले कर्मचारी अपनी अतिरिक्त आय इस फंड में नहीं लगा सकें, क्योंकि यह आम आदमी का सेवानिवृत्ति कोष है। इसलिए सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा का योगदान करने वालों की ब्याज आय पर टैक्स वसूला जाएगा।
इसके नियम कायदे बुधवार को सीबीडीटी ने जारी कर दिए। सरकार ने 2021 के वित्त विधेयक में नया प्रावधान किया है। इसके माध्यम से सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक योगदान वाले पीएफ खाते पर अर्जित ब्याज को कर योग्य बनाता है।
इसलिए किया टैक्स लगाने का निर्णय
एक अनुमान के अनुसार, लगभग 1,23,000 उच्च आय वाले कर्मचारी अपने भविष्य निधि खातों से औसतन टैक्स मुक्त ब्याज में सालाना 50 लाख रुपये से अधिक कमा रहे हैं। इसी कारण सरकार उन पर टैक्स लगाने के लिए नए नियम लाई है।
ईपीएफओ के छह करोड़ से ज्यादा सदस्य, 93 फीसदी को नहीं लगेगा टैक्स
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के छह करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं। इनमें से 93 फीसदी खाताधारक ऐसे हैं, जिनका सालाना योगदान 2.5 लाख रुपये से कम है, इसलिए वे कर मुक्त ब्याज की सुविधा प्राप्त करते रहेंगे। इसलिए नए नियम से छोटे व मध्यम श्रेणी कर्मचारी प्रभावित नहीं होंगे