नाश्ते पर यशपाल तो नहीं माने थे, क्या रात्रिभोज के बाद हरक मान जाएंगे?

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ रात्रिभोज के बाद सत्तारूढ़ भाजपा और सरकार ने बेशक यह मान लिया है कि कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की अब कोई नाराजगी नहीं है। लेकिन सीएम के साथ नाश्ते की टेबल पर तत्कालीन कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की भी नाराजगी दूर होने के दावे हुए थे। कुछ दिनों बाद यशपाल आर्य कांग्रेस में वापसी कर गए। नाराजगी दूर होने की खबरों के बीच सियासी हलकों में यह सवाल तैर रहा है कि क्या हरक सिंह रावत की अब कभी नाराजगी सामने नहीं आएगी?

सियासी जानकारों का मानना है कि हरक सिंह का अगला कदम क्या होगा, यह कोई नहीं जानता। 2016 में तत्कालीन हरीश सरकार के खिलाफ बगावत के वक्त विधानसभा में उन्होंने मंत्री के तौर पर अपनी सरकार का बचाव किया था। कुछ घंटे के अंतराल में उन्होंने बगावत का धमाका कर हरीश सरकार सबसे बड़े सियासी संकट में डाल दिया।

जानकारों के मुताबिक, उनकी नाराजगी अकसर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सामने आती है। इस बार यह नाराजगी उनके विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में मेेडिकल कॉलेज को लेकर है। यह जानते हुए भी कि एक जिले में एक ही मेडिकल कॉलेज बनाए जाने के मानक हैं, इसके बावजूद उनकी कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज खोलने की हठ है। उनकी इस हठ ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रालय ही नहीं मुख्यमंत्री को भी असहज किया। जिस आक्रामक अंदाज में उन्होंने कैबिनेट की बैठक छोड़ी और इस्तीफे की धमकी दी उसने प्रचंड बहुमत वाली भाजपा की भी सांसे अटका दी। हालांकि पार्टी के भीतर कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आए विधायकों और मंत्रियों की विदाई चाहने वाला खेमा हरक के इस्तीफे की खबर से खूब चहक रहा था। हरक की नाराजगी दूर होने की खबर से इस खेमे के चेहरे पर फिर से उदासी पसर गई है।

पार्टी के इस खेमे का मानना है कि हरक सिंह की कोटद्वार मेडिकल कॉलेज के बहाने असल लड़ाई तो टिकट की है। सीट बदल कर चुनाव लड़ने वाले हरक सिंह रावत एक बार नया ठिकाना चाह रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि हरक सिंह की ख्वाहिश केदारनाथ, लैंसडौन और डोईवाला से चुनाव लड़ने की है। हरक सिंह के ताजा दबाव को इन तीन विकल्पों में से एक विकल्प की चाह की परिणति माना जा रहा है। भाजपा का केंद्रीय व प्रांतीय नेतृत्व रात्रिभोज की टेबल पर हरक की नाराजगी दूर हो जाने के नतीजे पर बेशक पहुंच गया। लेकिन हरक को जानने वाले अब भी आशंकित हैं कि उनका अगला कदम प्रचंड बहुमत वाली भाजपा कौन से इम्तिहान में झोंक दे?

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