उत्तराखंड के कुमाऊं में भारी बारिश से हुई तबाही के बीच सेना के जवान बिना देरी किए बचाव और राहत कार्य में जुट गए। नैनीताल झील के जलस्तर बढ़ने से तल्लीताल में फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना की टुकड़ी ने छह घंटे तक रेस्क्यू अभियान चलाकर 30 लोगों को बचाया, इनमें दो बच्चे भी शामिल थे।टनकपुर में सेना ने चार घंटे रेस्क्यू अभियान चलाकर 283 ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इनमें 55 बच्चे भी शामिल थे। जीओसी सब एरिया मेजर जनरल संजीव खत्री ने बताया कि आपात स्थिति से निपटने के लिए दोनों जगह सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों को स्टैंड बाय पर रखा गया है।विगत 18 अक्तूबर को प्रदेश में भारी बारिश हुई थी। इससे कई क्षेत्रों में तबाही मच गई है। नैनीताल झील ओवरफ्लो हो गई। इससे तल्लीताल के लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया। झील ओवरफ्लो होने के कारण कई दुकानदार भी फंस गए।
जिला प्रशासन नैनीताल के अनुरोध के बाद तत्काल बचाव और राहत कार्य के लिए सैन्य टुकड़ी नैनीताल पहुंची। पंचशूल ब्रिगेड की टुकड़ी ने छह घंटे के रेस्क्यू के बाद 30 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। यहां आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए एक टुकड़ी को स्टैंड बाय पर रखा गया है।
नैनीताल के साथ ही टनकपुर में भी भारी बारिश के कारण काली नदी उफान पर आ गई थी। सूचना पर उत्तराखंड सब एरिया की ओर से पंचशूल ब्रिगेड के आठ जम्मू और कश्मीर लाइट इंफैन्टरी की दो टीमों को तत्काल शारदा घाट के लिए रवाना किया।
सेना की दो टुकड़ियों ने टनकपुर के अंबेडकरनगर गांव पहुंचकर चार घंटे तक चल रेस्क्यू अभियान के दौरान 283 ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इसमें 89 पुरुष, 139 महिलाएं और 55 बच्चे शामिल थे। यहां 8 जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के एक टुकड़ी को बनबसा में स्टैंड बाय पर रखा गया है।कोसी नदी के तेज बहाव के बीच फंसे वन ग्राम सुंदरखाल के लोगों को बचाने के लिए सेना को बुलाना पड़ा। देवदूत बनकर पहुंचे जवानों ने हेलिकॉप्टर से 25 ग्रामीणों को बचाया। छह लोगों को राफ्ट की मदद से निकाला गया। सकुशल निकलने पर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।