
दिल्ली। जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े 18 नवंबर को देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेंगे। उन्होंने गुरुवार को कहा कि न्याय वितरण प्रणाली में कुछ बदलावों की जरुरत है। उन्होंने कहा, ‘न्याय वितरण प्रणाली अच्छी है, इसमें कुछ मामूली बदलावों की जरुरत हो सकती है। जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीक शामिल है।’
उन्होंने कहा, ‘यह एक अच्छी प्रणाली है। आपको कुछ अन्य चीजों का उपयोग करने की जरुरत है। इसके दीर्घकालिक उपाय और अल्पकालिक उपाय हैं। दीर्घकालिक उपाय कानूनी शिक्षा हैं और अल्पकालिक उपाय बेहतर कर्मचारी और बेहतर प्रबंधन है।’
इससे पहले जस्टिस बोबड़े ने सरकार और न्यायपालिका को साथ-साथ चलने के लिए कहा था। एक न्यूज चैनल से बातचीत में जस्टिस बोबड़े ने अयोध्या समेत कई मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि सरकार से मेरे संबंध ठीक हैं। साथ ही कहा कि सरकार और न्यायपालिका को साथ चलना होगा।
अयोध्या मामले पर उन्होंने कहा कि अयोध्या पर फैसले का मुझे और सबको इंतजार है। ये फैसला सबके लिए महत्वपूर्ण है। बता दें कि जस्टिस बोबड़े इस मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की पीठ में शामिल हैं। कॉलेजियम के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये ठीक तरीके से काम कर रहा है। केंद्र के साथ कोई मतभेद नहीं है।
वकालत से शुरू हुआ था जस्टिस बोबड़े का सफर
जस्टिस बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी डिग्री ली है। 1978 में जस्टिस बोबड़े ने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र के सदस्य बने थे। इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में वकालत की और 1998 में वरिष्ठ वकील बने। वर्ष 2000 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार ग्रहण किया। इसके बाद वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली। जस्टिस बोबडे 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे।