भीलवाड़ा के गाडिया लोहार बस्ती की प्रेरक कहानी : संकट के समय हम लेते नहीं, समाज को कुछ देंगे

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  • गाडिया लोहार समाज महाराणा प्रताप के कालखंड से देशरक्षा का संकल्प निभाता आ रहा है. इसी कड़ी में आज एक और मील का पत्थर जुड़ा. भीलवाड़ा में गाडिया लोहार समाज के लोगों ने प्रस्तुत किया अनुपम उदाहरण
  • स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि हमें राशन की सामग्री उपलब्ध कराइए, हम आपको राशि देंगे. इस प्रकार उन्होंने 51 हजार रुपये एकत्र करके दिए.

भीलवाड़ा,राजस्थान(vsk,bharat) : गाडिया लोहार समाज महाराणा प्रताप के कालखंड से देशरक्षा का संकल्प निभाता आ रहा है. इसी कड़ी में आज एक और मील का पत्थर जुड़ा. भीलवाड़ा के चंद्रशेखर आजाद नगर के साथ लगती गाडिया लोहार बस्ती में एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया.

वर्तमान संकट को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक कुछ दिन पहले सेवा बस्ती में राशन सामग्री वितरित करने गए थे. तो बस्ती में रहने वाले लोगों ने सामग्री लेने से इंकार कर दिया. और कहा कि अभी इस सामग्री का आवश्यकता दिहाड़ी मजदूरों को है. हम वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के वंशज हैं, बगैर मेहनत के हम कुछ भी नहीं लेते, जिस प्रकार सन् 1576 में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने संकट के समय यह प्रतिज्ञा की थी कि जब तक मेवाड़ स्वतंत्र नहीं हो जाता, तब तक मैं महलों में नहीं रहूंगा, बर्तनों में नहीं खाऊंगा और पलंग पर नहीं सोऊंगा.  उसी समय से हम लोगों ने भी इस प्रतिज्ञा का निर्वहन करना आरंभ किया.

06 अप्रैल 1955 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रतिज्ञा मुक्ति कार्यक्रम चित्तौड़ की पावन धरा पर किया. उस संकट के समय में भी हम देश के साथ खड़े थे, आज फिर देश पर संकट आया है और माननीय प्रधानमंत्री ने सब से प्रार्थना की है कि हमारे आस पास कोई भी भूखा नहीं रहे, कोई भी भूखा ना सोए. उसकी चिंता हमें भी करनी है तो हम भी राशि एकत्रित करके पीड़ित दुःखी जनों को राशन सामग्री पहुंचाएंगे.

उन्होंने स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि हमें राशन की सामग्री उपलब्ध कराइए, हम आपको राशि देंगे. इस प्रकार उन्होंने 51 हजार रुपये एकत्र करके दिए. स्वयंसेवकों ने 200 किट सूखी राशन सामग्री बना कर देने का निश्चय किया. उसी क्रम में आज गाड़िया लोहार बस्ती में पूज्य महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन ने शाल और माला पहनकर अभिनन्दन किया तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघचालक चांदमल सोमानी ने उन्हें श्रीनाथजी का ऊपरना पहना कर स्वागत किया गया.

पूज्य महामंडलेश्वर ने कहा की मेवाड़ की धरा पर आज पुनः इतिहास रचा गया है. तभी तो कहावत है –
माई एहड़ा पूत जण, जेड़ा राणा प्रताप. कार्यक्रम में गाडिया लोहार समाज से कालू जी, सोहन जी, राजू जी, भंवर जी, कब्बू जी सहित समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे.

कार्यक्रम चल रहा था – उसी समय दिव्यांग मां, जिनकी दोनों आंखों में रोशनी नहीं थी, वह भी आई और उन्होंने कहा कि देश में संकट का समय है और ऐसे समय में हमें सब की मदद करनी चाहिए. हमने कुछ नहीं किया, यह सब एकलिंग नाथ जी ने करवाया है.

तत्पश्चात गाडिया लोहार समाज के बंधुओं के साथ राशन सामग्री शहर की विभिन्न कच्ची बस्तियों में वितरित की गई. निश्चित है कि हम सब एक दूसरे की इसी प्रकार मदद करेंगे तो भारत में कोई भी भूखा नहीं रहेगा, भूखा नहीं सोएगा.

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