मुस्लिम देशों में भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचने वालों को झटका-मलिक असगर हाशमी

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सउदी देशों के कई व्यापारियों, शासकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी शीशे में उतार कर उनसे बयान दिलवाया गया. इस क्रम में सउदी अरब की शाहजादी हेंड अल कासिमी को भी घसीटने की कोशिश की गई. उन्हें जब इसका पता चला तो वह सन्न रह गईं. अपने एक ट्वीट में कहती हैं कि उन्हें जब बताया गया कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला कर रही हैं और तबलीगी जमात का बचाव, तो दंग रह गईं.

नई दिल्ली (वि.सं.केंद्र भारत) : भारत और सउदी अरब देशों के बीच गलतफमियों की दीवार खड़ी करने और भारत को बदनाम करने का षड्यंत्र रचने वालों के लिए यह समाचार बड़ा झटका है. ओमान, सउदी अरब और कतर के बाद अब कुवैत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया पर भारत और उसके संबंध बिगड़ने वाली सूचनाएं निराधार और झूठी हैं. भारत और उसके बीच पहले जैसी प्रगाढ़ता आज भी बरकरार है.

भारत के आधिकारिक प्रवक्ता अनुराग अग्रवाल ने बताया कि सोशल मीडिया और ट्विटर हैंडल पर हाल के दिनों में सउदी देशों से भारत के संबंध बिगड़ने को लेकर आई सूचनाओं की जब छानबीन की गई तो वे गलत साबित हुई. इस संबंध में कुवैत सरकार से भी बात की गई, जिसका उनकी ओर से खंडन किया गया. कहा गया कि उसके और भारत के रिश्ते पहले की तरह प्रगाढ़ हैं. यही नहीं भारतीय चिकित्सकों का एक दल कुवैत में दो सप्ताह के प्रवास पर आया हुआ है. यह दल यहां कोराना वायरस से लड़ाई और इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों को तैयार करने में आवश्यक सहायता दे रहा है.

इससे पहले ओमान, सउदी अरब और कतर ने भारत से अपने संबंधों को लेकर स्थिति स्पष्ट की थी. कतर में भारत के राजदूत की मानें तो संबंध बिगड़ने वाली जानकारियां जब सोशल मीडिया और ट्विटर हैंडल पर आईं तो सरकार की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया. ओमान राजघराने के एक सदस्य के नाम पर ट्वीटर हैंडल के माध्यम से झूठी बातें फैलाई गईं. इसमें बताया गया था कि भारत में मुसलमानों पर हो रही ज्यादतियों एवं इनके खिलाफ सोशल मीडिया पर किए जा रहे अनर्गल प्रलापों से मुस्लिम देश बेहद खफा हैं. इसके विरोध में उनके यहां काम करने वाले भारतीयों को घर भेजने की तैयारी की जा रही है.

एक अनुमान के अनुसार इस समय विश्व के 53 मुस्लिम देशों में करीब 40 लाख हिन्दू रोजगार के लिए रह रहे हैं. ओमान के उप-प्रधानमंत्री सैयद फद की पुत्री तथा सुल्तान कबूस विश्वविद्यालय की सहायक कुलपति मोना बिन फहद के ट्विटर हैंडल से भी भारत और मुस्लिम देशों के रिश्ते बिगाड़ने तथा सउदी देशों से बड़ी संख्या में हिन्दुओं को निकाले जाने की जानकारी साझा की गई थी. इसका पता चलने पर कहानी कुछ और निकली. उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कोई ट्वीटर हैंडल नहीं बनाया है. देश में कोरोना संक्रमण के फैलाव के लिए जिम्मेदार तबलीगी जमातियों की जब आलोचना होने लगी तो भारत विरोधी शक्तियों ने झूठी खबरें फैलाकर मुस्लिम देशों से संबंध खराब करने का प्रयास किया.

इस अभियान को पर्दे के पीछे से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी भी हवा दे रही थी, जबकि उपरी तौर पर केरल के आतंकी संगठनों, जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के छात्रों तथा सउदी-पाकिस्तानी पत्रकारों का गठजोड़ काम कर रहा था. इनके माध्यम से सोशल व इलेक्ट्रानिक मीडिया तथा समाचार पत्रों में भारत से संबंधित मुस्लिम विरोधी झूठी खबर चलाकर ऐसे हालात पैदा करने की कोशिश की गई ताकि भारत के मुस्लिम देशों से संबंध बिगड़ जाएं.

इसके तहत सउदी देशों के कई व्यापारियों, शासकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी शीशे में उतार कर उनसे बयान दिलवाया गया. इस क्रम में सउदी अरब की शाहजादी हेंड अल कासिमी को भी घसीटने की कोशिश की गई. उन्हें जब इसका पता चला तो वह सन्न रह गईं. अपने एक ट्वीट में कहती हैं कि उन्हें जब बताया गया कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला कर रही हैं और तबलीगी जमात का बचाव, तो दंग रह गईं.

कुवैत के अब्दुल रहमान अल-निसार कहते हैं कि 53 मुस्लिम देशों में भारतीय, जिनमें अधिकांश हिंदू हैं, के साथ सम्मान और मानवता भरा व्यवहार किया जाता रहा है, जो बरकरार है.

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