(विश्व संवाद केंद्र दिल्ली) : जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. इसमें महाराजा हरी सिंह का अतुलनीय योगदान है. उन्होंने अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर कर पाकिस्तान और अंग्रेजों के काले मंसूबों को फेल किया. दूसरी तरफ भारतीय सेना ने समय पर कश्मीर में पहुंच कर पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर किया था.
ऐसी ही कहानी देश के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा की है. उन्होंने अपने सैनिकों के साथ मिलकर बड़गाम हवाई अड्डे को पाकिस्तानी सेना से बचाया.
जब मेजर सोमनाथ शर्मा श्रीनगर पहुंचे, उस समय उनका हाथ टूटा हुआ था. सैन्य अधिकारी नहीं चाहते थे कि वो युद्ध मैदान में जाएं. लेकिन उन्होंने युद्ध में जाने की जिद्द की. उनकी टुकड़ी को बड़गाम हवाई पट्टी की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई.
पाकिस्तानी सेना बारामूला को तबाह कर श्रीनगर की तरफ बढ़ रही थी. पाकिस्तानियों ने जबरदस्त हमला किया. पाकिस्तानी जत्था 700 सैनिकों का था. मेजर सोमनाथ शर्मा और उनके सैनिक पूरी वीरता से लड़े. साढ़े छह घंटे तक मेजर और उसके 55 सैनिकों ने पाकिस्तान के 700 सैनिकों को रोके रखा. अंत में मेजर सोमनाथ शर्मा लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. उन्होंने अपनी ब्रिगेड को अंतिम सन्देश में कहा था – “मैं एक इंच पीछे नहीं हटूंगा और तब तक लड़ता रहूंगा, जब तक कि मेरे पास आखिरी जवान और आखिरी गोली है”. मेजर सोमनाथ शर्मा ने जो कहा, उसे पूरा भी कर दिखाया. उन्होंने पराक्रम और बलिदान का अभूतपूर्व उदाहरण प्रस्तुत किया.