भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए मानसून बेहद जरूरी है। अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कृषि आधारित है। देश में आधे से ज्यादा खेती सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर होती है। चावल, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए बारिश बेहद जरूरी होती है।
नई दिल्ली : मानसून चार पहले यानी 1 जून को ही केरल तट पर दस्तक देगा। मौसम विभाग ने पहले 5 जून को मानसून के केरल पहुंचने की बात कही थी। विभाग ने आज (गुरुवार को) इसके पूर्वानुमान में बदलाव किया। आईएमडी ने कहा है कि वर्तमान परिस्थितियां मानसून के आगमन को लेकर बेहद अनुकूल बन गई हैं।
मौसम विभाग ने अप्रैल में कहा था कि इस बार मानसून औसत ही रहने वाला है। विभाग के मुताबिक, 96 से 100% बारिश को सामान्य मानसून माना जाता है। पिछले साल यह आठ दिन की देरी से 8 जून को केरल के समुद्र तट से टकराया था। भारत में जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून से बारिश होती है।
बारिश पर निर्भर आधे से ज्यादा खेती
भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए मानसून बेहद जरूरी है। अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कृषि आधारित है। देश में आधे से ज्यादा खेती सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर होती है। चावल, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए बारिश बेहद जरूरी होती है।
कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू है। इस वजह से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शुमार भारतीय अर्थव्यवस्था इन दिनों मुश्किलों का सामना कर रही है।
मौसम का अनुमान दो चरणों में जारी होता है
हर साल मौसम विभाग दीर्घावधि अनुमान दो चरणों में जारी करता है। पहला अनुमान अप्रैल तो दूसरा अनुमान जून में जारी किया जाता है। इसके लिए स्टेटिसटिकल एनसेंबल फोरकास्टिंग सिस्टम और ओशन एटमॉस्फिरिक मॉडलों की मदद ली जाती है। 1961 से 2010 के दौरान देशभर में हर साल औसतन 88 सेमी बारिश रिकॉर्ड की गई।