लखनऊ। निर्भया और उन्नाव और हैदराबाद की घटनाओं को देखते हुए पूरे देश में गुस्से का माहौल है। लोगों में जागरूकता आए इसके लिए समाज में अलग-अलग तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में धर्म की नगरी काशी में अब दुराचारियों के लिए देवी मंदिरों के कपाट बंद हो गए हैं।
सामाजिक संस्था आगमन ने इसके लिए मुहिम शुरू की है। इस तरह से अब कोई भी दुराचारी मंदिरों में प्रवेश नहीं कर सकेगा। इसके तहत वाराणसी के कालिका गली स्थित कालरात्रि मंदिर में दुराचारियों के साथ ही बेटियों का सम्मान न करने वाले और बेटियों के जन्म पर दुखी होने वालों के मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लग गया है।
लोगों का कहना है कि भगवान का स्थान सबसे पवित्र होता है। महिलाएं-बेटियां देवी के समान होती हैं। और जो इनका सम्मान न करेगा, उसको ऐसे पवित्र स्थलों पर प्रवेश की अनुमति नहीं है।
इसके लिए बाकायदा मंदिर के मुख्य द्वार के साथ ही गर्भगृह सहित अन्य जगहों पर पोस्टर भी चस्पा किए गए हैं, जिसमे बेटियों का सम्मान न करने वालों, बेटियों के जन्म पर दुखी होने वाले और दुराचारियों का मंदिर में प्रवेश निषेध बताया गया है। आयोजन में मुख्य रूप से डॉ संतोष ओझा, श्रीनारायण तिवारी, हरिनारायण तिवारी, विष्णुकांत आचार्य,
हरिकृष्ण प्रेमी, रजनीश सेठ, राहुल गुप्ता, आदि लोग मौजूद रहे।
इससे पहले भी सामाजिक संस्था आगमन ने रविवार को समाज मे महिलाओं पर बढ़ते अपराध और दुष्कर्मियों से उनकी रक्षा के लिए शिवाला स्थित ज्ञान हनुमान(छोटे हनुमान) मंदिर में प्रार्थना की थी। इस दौरान बेटियों ने भगवान से महिलाओं की रक्षा-सुरक्षा के लिए गुहार लगाई थी। शहर में पिछले 20 साल से सामाजिक संस्था आगमन, कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चला रही है।