उत्तर प्रदेश से 24 सिंचाई नहरों को उत्तराखंड को हस्तांतरित किए जाने के आदेश हो गए हैं। इनमें ऊधमसिंह नगर की 20 और हरिद्वार की चार नहरें शामिल हैं। इसके साथ ही धौरा, बैगुल एवं नानक सागर जलाशय और पुरानी ऊपरी गंगा गंगनहर में जल क्रीडा एवं पर्यटन की भी अनुमति प्रदान कर दी गई हैं। महाराज ने बताया कि दोनों राज्यों के बीच यह भी तय हुआ है कि ऊधमसिंहनगर के किच्छा में स्थित उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के 0.346 हेक्टेयर भूमि बस स्टेंड निर्माण के लिए उत्तराखंड को हस्तांतरित की जाएगी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग की ओर से विद्युत बिलों के एरियर, जिनकी धनराशि 50 करोड़ के लगभग है के तत्काल भुगतान और भविष्य के बिलों के नियमित भुगतान पर सहमति बन गई है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश मत्स्य निगम लिमिटेड और उत्तराखंड मत्स्य पालन विकास अभिकरण को तीन करोड़ आठ लाख रुपये का भुगतान किया गया। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की ओर से उत्तराखंड परिवहन निगम को 205 करोड़ 42 लाख रुपये के भुगतान भी पर सहमति बन चुकी हैं। उत्तराखंड खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की ओर से उत्तर प्रदेश को देय 105 करोड़ 42 लाख रुपये का भुगतान सीधे उत्तराखंड परिवहन निगम को किया जाएगा। जबकि शेष 100 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश परिवहन निगम उत्तराखंड परिवहन निगम को भुगतान करेगा।
दिसबंर तक उत्तराखंड को मिल जाएगा अलकनंदा
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद की उत्तराखंड में स्थित परिसंपत्तियों में उत्तराखंड को 50 प्रतिशत अंश प्राप्त होगा। हरिद्वार स्थित अलकनंदा पर्यटक आवास का हस्तांतरण उत्तर प्रदेश की ओर से दिसंबर माह तक उत्तराखंड को कर दिया जाएगा।
वन निगम को 77.31 लाख रुपये का भुगतान
मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश वन निगम की ओर से उत्तराखंड वन विकास निगम को 77.31 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया है। शेष लगभग 13 करोड़ रुपये की कर देयता को उत्तर प्रदेश वन निगम की ओर से एक संयुक्त एकाउंट में जमा करा दिया जाएगा। यह भी तय हुआ है कि क्षतिग्रस्त बनबसा बैराज का निर्माण उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर से कराया जाएगा।
महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्ष 2015 में जब दोनों राज्यों के बीच परिस्पतियों को लेकर जो समझौता हुआ था, उसमें अनुपयुक्त रिक्त भूमि का मात्र 25 प्रतिशत अंश ही उत्तराखंड को दिए जाने पर सहमति बनी थी। लेकिन इस बार हुई बैठक में परिसंपत्तियों में उत्तराखंड को 50 प्रतिशत अंश प्राप्त होगा, जो राज्य के लिए बड़ी सफलता है।