वनवासी विनीता का परिवार पहले से ही नक्सलियों के निशाने पर रहा है. दो साल पहले नक्सलियों ने विनीता के ससुर शनिचरवा उरांव की हत्या कर दी थी. घटना के बाद से पूरा परिवार रांची में आकर मजदूरी करके गुजर-बसर कर रहा है. लेकिन कोरोना वायरस के चलते इन्हें फिर गांव लौटना पड़ा. इसकी भनक नक्सलियों को लगी तो घर पर हमला करने का प्रयास किया.
रांची (झारखण्ड) : कोरोना संकट के बीच आतंकी और नक्सली अपनी घिनोनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे. आतंकियों को एक एक कर सेना ठोक रही है तो नक्सलियों से बहादुर लोग खुद निपट रहे हैं.
बहादुरी की एक मिसाल गत दिन गुमला में देखने को मिली जब वनवासी बेटी विनीता अपने परिवार व पति की जान बचाने के लिए छह नक्सलियों से अकेले भिड़ गई. बहादुरी का परिचय देते हुए विनीता ने टांगी से नक्सली कमांडर बसंत गोप पर वार कर मार भगाया. पहले ही कोरोना के कारन मुसीबत में पड़े झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली वनवासी विनीता के परिवार पर नक्सलियों ने हमला कर नई मुसीबत खादी कर दी, जिसका उसने बड़ी सूझ-बूझ से न सिर्फ सामना ही किया, बल्कि हिम्मत जुटाते हुए नक्सलियों से अपने पूरे परिवार के जान की रक्षा की.
अपनी जान की परवाह किए बगैर परिवार व पति की रक्षा करने से विनीता से पूरे गांव के लोग खुश है. परंतु नक्सली अब दोबारा हमला करेंगे इसका खौप भी बढ़ गया है. डर है कि कमांडर की मौत का बदला लेने के लिए नक्सली फिर से योजना बनाकर हमला कर सकते हैं.
गुमला थाने की पुलिस ने बताया कि बुधवार रात करीब आठ से नौ बजे के बीच उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के सब जोनल कमांडर बसंत गोप ने पांच-छह नक्सलियों के साथ विनीता के घर पर हमला किया. विनीता का घर गुमला सदर थाना से दस मीटर दूर वृंदा नायक टोली गांव में है. नक्सली विनीता के पति की हत्या करने के मकसद से आए थे. पति और परिवार की जान को खतरा देखकर विनीता अकेले ही नक्सलियों भिड़ गई और नक्सली कमांडर बसंत गोप पर टांगी से वार किया. कमांडर को घायल देखकर बाकी नक्सली घबरा गए और अपने कमांडर को लेकर वहां से भागे. लेकिन रास्ते में कमांडर बसंत गोप की मौत हो गई. पुलिस की खोजबीन के बाद कमांडर का शव जंगल में पड़ा मिला है.
वनवासी विनीता का परिवार पहले से ही नक्सलियों के निशाने पर रहा है. दो साल पहले नक्सलियों ने विनीता के ससुर शनिचरवा उरांव की हत्या कर दी थी. घटना के बाद से पूरा परिवार रांची में आकर मजदूरी करके गुजर-बसर कर रहा है. लेकिन कोरोना वायरस के चलते इन्हें फिर गांव लौटना पड़ा. इसकी भनक नक्सलियों को लगी तो घर पर हमला करने का प्रयास किया.